इक जख्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं जो कभी बीत | हिंदी कविता

"इक जख्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं जो कभी बीत ही न पाया उस शाल में हम हैं किस्से और कहानियाँ कुछ यूँ बनी जिंदगी में उन जिगरी दोस्तों की मशाल में हम हैं अब दिल नहीँ लग रहा मोहब्बत में बिना इश्क़ के ये जिंदगी, ना जाने किस जंजाल में हम हैं चलना छोड़ दिये उन सुलझे रास्तों पर अपना रास्ता खुद बना रहे, ना जाने किस मजाल में हम हैं क्यों न ख्वाबों का कत्ल कर, जिंदगी से समझौता कर ले किसी से ब्यां तक न कर पायें, उस सवाल में हम हैं"

 इक जख्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं
जो कभी बीत ही न पाया उस शाल में हम हैं

किस्से और कहानियाँ कुछ यूँ बनी जिंदगी में 
उन जिगरी दोस्तों की मशाल में हम हैं

अब दिल नहीँ लग रहा मोहब्बत में
बिना इश्क़ के ये जिंदगी, ना जाने किस जंजाल में हम हैं

चलना छोड़ दिये उन सुलझे रास्तों पर 
अपना रास्ता खुद बना रहे, ना जाने किस मजाल में हम हैं

क्यों न ख्वाबों का कत्ल कर, जिंदगी से समझौता कर ले
किसी से ब्यां तक न कर पायें, उस सवाल में हम हैं

इक जख्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं जो कभी बीत ही न पाया उस शाल में हम हैं किस्से और कहानियाँ कुछ यूँ बनी जिंदगी में उन जिगरी दोस्तों की मशाल में हम हैं अब दिल नहीँ लग रहा मोहब्बत में बिना इश्क़ के ये जिंदगी, ना जाने किस जंजाल में हम हैं चलना छोड़ दिये उन सुलझे रास्तों पर अपना रास्ता खुद बना रहे, ना जाने किस मजाल में हम हैं क्यों न ख्वाबों का कत्ल कर, जिंदगी से समझौता कर ले किसी से ब्यां तक न कर पायें, उस सवाल में हम हैं

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happy poetry day 🙏

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