गांव की छांव में भरोसा है और मोहब्बत है, शहर में

"गांव की छांव में भरोसा है और मोहब्बत है, शहर में पैसेवालों की ऊंची इमारत मिलती है; लोग कहते है इंसानियत आजकल रहा नही, गौर से देखों! जानवरों में इंसानियत मिलती है। ©Farhana"

 गांव की छांव में भरोसा है और मोहब्बत है, 
शहर में पैसेवालों की ऊंची इमारत मिलती है;

लोग कहते है इंसानियत आजकल रहा नही,
गौर से देखों! जानवरों में इंसानियत मिलती है।

©Farhana

गांव की छांव में भरोसा है और मोहब्बत है, शहर में पैसेवालों की ऊंची इमारत मिलती है; लोग कहते है इंसानियत आजकल रहा नही, गौर से देखों! जानवरों में इंसानियत मिलती है। ©Farhana

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