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#हिंदी दिवस #
संस्कृत से हुआ जन्म मेरा,
फिर आया नया रूप मेरा।
कण कण से जोड़ कर पहचान मेरी,
अक्षर,शब्द, वाक्य तीनों से सौंदर्य मेरा।
शुरुआत हुई उत्साह उमंग से मेरी,
सजाया सवारा सभी ने भाषा मेरी।
माना सभी को सगोत्र मैंने,
तभी आपसी गहरी पहचान मेरी।
ज्ञान और व्याकरण की नदियां बनती,
अग्रणी फिर सागर में बहती।
संस्कृति की पहचान हमारी,
आदर और मान हमारा।
लेखन और वाणी दोनों की,
शान सुंदरता खुद से बनाती।
एहसास छोटा सा हमारा,
तभी तो है गौरव भाषा हमारी।
भारत की है आशा,
है हिंदुस्तान की भाषा।
हिंदी
©Shivani Thapliyal
#sad_quotes poem