Shivani Thapliyal

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White #हिंदी दिवस # संस्कृत से हुआ जन्म मेरा, फिर आया नया रूप मेरा। कण कण से जोड़ कर पहचान मेरी, अक्षर,शब्द, वाक्य तीनों से सौंदर्य मेरा। शुरुआत हुई उत्साह उमंग से मेरी, सजाया सवारा सभी ने भाषा मेरी। माना सभी को सगोत्र मैंने, तभी आपसी गहरी पहचान मेरी। ज्ञान और व्याकरण की नदियां बनती, अग्रणी फिर सागर में बहती। संस्कृति की पहचान हमारी, आदर और मान हमारा। लेखन और वाणी दोनों की, शान सुंदरता खुद से बनाती। एहसास छोटा सा हमारा, तभी तो है गौरव भाषा हमारी। भारत की है आशा, है हिंदुस्तान की भाषा। हिंदी ©Shivani Thapliyal

#हिंदी #sad_quotes  White 
#हिंदी दिवस #
संस्कृत से हुआ जन्म मेरा, 
फिर आया नया रूप मेरा। 
कण कण से जोड़ कर पहचान मेरी,
अक्षर,शब्द, वाक्य तीनों से सौंदर्य मेरा।
शुरुआत हुई उत्साह उमंग से मेरी,
सजाया सवारा सभी ने भाषा मेरी। 
माना सभी को सगोत्र मैंने,
तभी आपसी गहरी पहचान मेरी। 
ज्ञान और व्याकरण की नदियां बनती, 
अग्रणी फिर सागर में बहती।
संस्कृति की पहचान हमारी, 
आदर और मान हमारा। 
लेखन और वाणी दोनों की,
शान  सुंदरता खुद से बनाती।
एहसास छोटा सा हमारा,
तभी तो है गौरव भाषा हमारी।
भारत की है आशा, 
है हिंदुस्तान की भाषा।
हिंदी

©Shivani Thapliyal

#sad_quotes poem

12 Love

#केदार  White #केदार की आवाज#

कोई जानता है मैं कौन हूं? 
मैं पहाड़ों में बस देव हूं।।
यूं ही ना जाने कब से वास है मेरा, 
निहारत रह गए सुंदरता को मेरी। 
दिया साथ मैंने सबका सुख दुख में ,
फिर क्यों छीन गया आज सुख मेरा। 
कोई जानता है मैं क्या हूं? 
 मैं भगवान केदार हूं।।
मैं पंच केदार ज्योतिर्लिंग में निवास हूं, 
कोई जानता है मैं कहां रहता हूं? 
मैं हसीन वादियों के बीच स्थित हूं,
ढकी बर्फ की चोटियों के बीच निवास हूं।।
क्यों छोड़ आए पहाड़ों का दामन,
आंखें भरी जारी दुख से मेरी। 
कोई जानता है ऐसा कैसे हुआ?
देख सके तो देख हैं मनुष्य,
कहां आंख बंद तू बैठा हैं।
लुप्त होते उत्तराखंड का जाल देख,
भू _धू कर जलते बुग्याल देख।
आंखो से बौछार, टूटने का दर्द,,
हँसी मेरी कोई समझ ना सका।
कोई जानता ऐसा क्यों हुआ?
जवान हाथ शहर के जो हो गए,
सुना दिल्ली जा रहे केदार भगवान।
शायद अब ना हो उनको पसंद पहाड़।।
अभी अभी जारी हुआ काम,
तभी पता चलेगा दाम।
कोई जानता ऐसा कब हुआ? 
आपस ईमेल से फंसे हैं हम, 
खूब इमेल बैठक में फंसे हैं हम।
पास होकर भी दूर बनाया खुद को, 
खूब व्यस्त बना दिया खुद को। 
भूल गए 2013 को खुद हम, 
आंखें भर रही आज भी मेरी। 
मैं जवान नहीं फिर भी नया जमाना, 
मैं तो भूल गया कल का दिन नया जमाना।

©Shivani Thapliyal

केदार नाथ भगवान शिव

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#Whatsapp  पॉली ( सिविल इंजीनियरिंग) students 
Before ⬇️(addmision के दोरान)
खुद का खोफ उनका कम नहीं,
सोचते खुद को C.M.।
after⬇️(3 year diploma)
NH में सड़क किनारे  धूल पत्थर से , चकाचूम चहरा ले कर घूम रहे।
🤣🤣🤣💟

©Shivani Thapliyal

#Whatsapp

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ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा बदल गया, मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे। ©Shivani Thapliyal

#lovequote  ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा  बदल गया,
मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे।

©Shivani Thapliyal

#lovequote

13 Love

ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा बदल गया, मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे। ©Shivani Thapliyal

#lovequote  ऐ_ मोहब्बत मौसम जैसा  बदल गया,
मैंने सोचा था __उसको नयनो में रखेंगे।

©Shivani Thapliyal

#lovequote

13 Love

अनमोल उपहार अक्सर खोए होते, जिन्दगी मौत का जीवन ख्वाब सा होता। अपना ओर अपनो में फर्क सा , फकीर नहीं दो सैकेंड हसीन सा। 😞😞😞🌏 ©Shivani Thapliyal

#udaasi  अनमोल उपहार अक्सर खोए होते,
जिन्दगी मौत का जीवन ख्वाब सा होता।
अपना ओर अपनो में फर्क सा ,
फकीर नहीं दो सैकेंड हसीन सा।
😞😞😞🌏

©Shivani Thapliyal

#udaasi

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