इश्क के खेल में हम सच्चे सिकंदर निकले, जहां पर खड | हिंदी शायरी

"इश्क के खेल में हम सच्चे सिकंदर निकले, जहां पर खड़े थे अकेला जिंदा निकले, और सभी चली गई मेरी महफिलों से, हम अभी भी उसे मोड़ पर आजाद उड़ता परिंदा निकले। ©Ravish"

 इश्क के खेल में हम सच्चे सिकंदर निकले,
 जहां पर खड़े थे अकेला जिंदा निकले,
 और सभी चली गई मेरी महफिलों से,
 हम अभी भी उसे मोड़ पर 
आजाद उड़ता परिंदा निकले।

©Ravish

इश्क के खेल में हम सच्चे सिकंदर निकले, जहां पर खड़े थे अकेला जिंदा निकले, और सभी चली गई मेरी महफिलों से, हम अभी भी उसे मोड़ पर आजाद उड़ता परिंदा निकले। ©Ravish

#achievement

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