✍मन की बात✍ भारत का रहने वाला हूँ मैं, मैं मन की | हिंदी Poetry

"✍मन की बात✍ भारत का रहने वाला हूँ मैं, मैं मन की बात कहने वाला हूँ मैं। बहुत सहा इन गद्दारों को, गली-गली फिरते इन आवारों को, धर्म की राजनीति करते इन ठेकेदारों को, अब सबको सबक सिखलाने वाला हूँ मैं। भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। नारी का अपमान बहुत हुआ अब, देवी पर अत्याचार बहुत हुआ अब, कन्या-भ्रूण का गर्भपात बहुत हुआ अब, नारी शक्ति का गौरव फिर से दिलवाने वाला हूँ मैं, भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। सड़कों पर कचरा बीनता बचपन नहीं चाहिए, जूठी गिलासें धोता कोई जगन नहीं चाहिए, रोटी को तरसता कोई बालक मन नहीं चाहिए, भारत का भविष्य उज्ज्वल करने वाला हूँ मैं, भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। मुझको मेरा भारत चाहिए, हर्षित सारा जन-मन चाहिए, विश्वगुरू की वह पहचान चाहिए, इस माँ खोया स्वाभिमान चाहिए, तन-मन सर्वस्व न्योछावर करने वाला हूँ मैं... भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। दाधीच प्रवीण शर्मा, नागौर, राजस्थान। ©dadhichpraveensharma #NojotoQuote"

 ✍मन की बात✍

भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मैं मन की बात कहने वाला हूँ मैं।

बहुत सहा इन गद्दारों को,
गली-गली फिरते इन आवारों को,
धर्म की राजनीति करते इन ठेकेदारों को,
अब सबको सबक सिखलाने वाला हूँ मैं।
भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मन की बात कहने वाला हूँ मैं।
 
नारी का अपमान बहुत हुआ अब,
देवी पर अत्याचार बहुत हुआ अब,
कन्या-भ्रूण का गर्भपात बहुत हुआ अब,
नारी शक्ति का गौरव फिर से दिलवाने वाला हूँ मैं,
भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मन की बात कहने वाला हूँ मैं।

सड़कों पर कचरा बीनता बचपन नहीं चाहिए,
जूठी गिलासें धोता कोई जगन नहीं चाहिए,
रोटी को तरसता कोई बालक मन नहीं चाहिए,
भारत का भविष्य उज्ज्वल करने वाला हूँ मैं,
भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मन की बात कहने वाला हूँ मैं।

मुझको मेरा भारत चाहिए,
हर्षित सारा जन-मन चाहिए,
विश्वगुरू की वह पहचान चाहिए,
इस माँ खोया स्वाभिमान चाहिए,
तन-मन सर्वस्व न्योछावर करने वाला हूँ मैं...
भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मन की बात कहने वाला हूँ मैं।

दाधीच प्रवीण शर्मा,
नागौर, राजस्थान।
©dadhichpraveensharma #NojotoQuote

✍मन की बात✍ भारत का रहने वाला हूँ मैं, मैं मन की बात कहने वाला हूँ मैं। बहुत सहा इन गद्दारों को, गली-गली फिरते इन आवारों को, धर्म की राजनीति करते इन ठेकेदारों को, अब सबको सबक सिखलाने वाला हूँ मैं। भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। नारी का अपमान बहुत हुआ अब, देवी पर अत्याचार बहुत हुआ अब, कन्या-भ्रूण का गर्भपात बहुत हुआ अब, नारी शक्ति का गौरव फिर से दिलवाने वाला हूँ मैं, भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। सड़कों पर कचरा बीनता बचपन नहीं चाहिए, जूठी गिलासें धोता कोई जगन नहीं चाहिए, रोटी को तरसता कोई बालक मन नहीं चाहिए, भारत का भविष्य उज्ज्वल करने वाला हूँ मैं, भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। मुझको मेरा भारत चाहिए, हर्षित सारा जन-मन चाहिए, विश्वगुरू की वह पहचान चाहिए, इस माँ खोया स्वाभिमान चाहिए, तन-मन सर्वस्व न्योछावर करने वाला हूँ मैं... भारत का रहने वाला हूँ मैं, मन की बात कहने वाला हूँ मैं। दाधीच प्रवीण शर्मा, नागौर, राजस्थान। ©dadhichpraveensharma

✍मन की बात✍

भारत का रहने वाला हूँ मैं,
मैं मन की बात कहने वाला हूँ मैं।

बहुत सहा इन गद्दारों को,
गली-गली फिरते इन आवारों को,
धर्म की राजनीति करते इन ठेकेदारों को,

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