जो समझा पहली बार में समझा
जो खूब समझा ,वो क्या समझा ।
अब नहीं समझा तो ना समझा
ना समझा ,तो क्या समझा ।।
फिर दोहराया ,खुद को दोहराया
बचपन पर सब कवर चढ़ाया
दूसरों को सब साबित करके
जो समझा था ,सब भुलवाया ।
जो देखा ,बचपन मे देखा
जो ना देखा वो ना देखा ।
जो देखा उसको ही पाया
जो ना देखा ,वो क्या पाया ।।
जो समझा था ,उसको दोहराया
जो देखा था ,वो सच पाया ।
पर जो पाया ,क्या वो देखा था ।
या जो समझा था ,वो देखा था ।
ना समझा था ,फिर भी दोहराया
ना देखा था ,फिर भी दोहराया ।।
क्यों दोहराया ,क्यों दोहराया
क्योंकि एक समझ और एक बार ,
जब देखा था ,तब देखा था
तब ही समझा था ,तब ही जाना था ।।
पर लोग दुहराते गए ,हम दुहराते गए
दुहराते गए ,दुहराते गए
कि भूल गए क्या देखा था ,और क्या समझा था ।।।
©दर्शनप्रशांत
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