मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। कोई भी | हिंदी कविता

"मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। कोई भी खोज खबर ले, सबको अच्छा बताता हूं। जब भी अकेले रहूं, दुनियां के आंखों से ओझल हो जाता हूं। जब कभी भी कोई आवाज़ दे, मंद मंद मुस्काते सामने आ जाता हूं। ये सब दिखावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। कभी एकांत में रहूं, इस मन को ज़िन्दगी का मर्म समझाता हूं। तो कभी साहस इक्कतृत कर समाज से इनके जंजालों से लड़ जाता हूं। ये सब छलावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। अपनी छोटी- छोटी उलझनों को अपने आदर्शों को बताता हूं, इनका उत्तर ना मिलने पर इनके खोज पर निकल जाता हूं। कई ग्रंथों और कई किताबों को टटोलने के बाद, खुदको अंशो में समझा पाता हूं। बांकी बचे सवाल के जवाब नहीं मिलने पर, थक हार के बोझल सा हो जाता हूं। मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।"

 मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।
कोई भी खोज खबर ले, सबको अच्छा बताता हूं।
जब भी अकेले रहूं, दुनियां के आंखों से ओझल हो जाता हूं।
जब कभी भी कोई आवाज़ दे, मंद मंद मुस्काते सामने आ जाता हूं।
ये सब दिखावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।

कभी एकांत में रहूं, इस मन को ज़िन्दगी का मर्म समझाता हूं। 
तो कभी साहस इक्कतृत कर समाज से इनके जंजालों से लड़ जाता हूं।

ये सब छलावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।
मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।

अपनी छोटी- छोटी उलझनों को अपने आदर्शों को बताता हूं,
इनका उत्तर ना मिलने पर इनके खोज पर निकल जाता हूं।
कई ग्रंथों और कई किताबों को टटोलने के बाद, खुदको अंशो में समझा पाता हूं।
बांकी बचे सवाल के जवाब नहीं मिलने पर, थक हार के बोझल सा हो जाता हूं।

मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।

मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। कोई भी खोज खबर ले, सबको अच्छा बताता हूं। जब भी अकेले रहूं, दुनियां के आंखों से ओझल हो जाता हूं। जब कभी भी कोई आवाज़ दे, मंद मंद मुस्काते सामने आ जाता हूं। ये सब दिखावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। कभी एकांत में रहूं, इस मन को ज़िन्दगी का मर्म समझाता हूं। तो कभी साहस इक्कतृत कर समाज से इनके जंजालों से लड़ जाता हूं। ये सब छलावा है, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं। अपनी छोटी- छोटी उलझनों को अपने आदर्शों को बताता हूं, इनका उत्तर ना मिलने पर इनके खोज पर निकल जाता हूं। कई ग्रंथों और कई किताबों को टटोलने के बाद, खुदको अंशो में समझा पाता हूं। बांकी बचे सवाल के जवाब नहीं मिलने पर, थक हार के बोझल सा हो जाता हूं। मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।

मै खुश हूं, ये सच है या सच्चाई छिपाता हूं।

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