मैं क्यो लिखता हूँ जब घर से दूर एक बंद कमरे में ख

"मैं क्यो लिखता हूँ जब घर से दूर एक बंद कमरे में खुद को अकेला महसूस करता हूँ मैं तब लिखता हूँ जब रात को नींद नही आती करवटें बदलते हुये सोने की कोशिश करता हूँ फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है मैं तब लिखता हूँ जब मुझे चारो ओर से परेशानीयां जकड लेती है अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ फिर पिता का दिया हौसला याद आता है मैं तब लिखता हूँ। मुसाफिर रोहित पाल"

 मैं क्यो लिखता हूँ
जब घर से दूर
एक बंद कमरे में 
खुद को अकेला महसूस करता हूँ
मैं तब लिखता हूँ
जब रात को नींद नही आती
करवटें बदलते हुये
 सोने की कोशिश करता हूँ
फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है
 मैं तब लिखता हूँ
जब मुझे चारो ओर से
परेशानीयां जकड लेती है
अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ
फिर पिता का दिया हौसला याद आता है
मैं तब लिखता हूँ।
मुसाफिर रोहित पाल

मैं क्यो लिखता हूँ जब घर से दूर एक बंद कमरे में खुद को अकेला महसूस करता हूँ मैं तब लिखता हूँ जब रात को नींद नही आती करवटें बदलते हुये सोने की कोशिश करता हूँ फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है मैं तब लिखता हूँ जब मुझे चारो ओर से परेशानीयां जकड लेती है अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ फिर पिता का दिया हौसला याद आता है मैं तब लिखता हूँ। मुसाफिर रोहित पाल

#मै_तब_लिखता_हूँ

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