मुसाफिर रोहित पाल

मुसाफिर रोहित पाल Lives in Najibabad, Uttar Pradesh, India

दिल की बात पन्नो पर लिखने का काम करता हूँ

  • Latest
  • Popular
  • Video

चलो मिलकर दिवाली हम मनाते हैं कथा श्री राम जी की हम सुनाते है सभी सुख छोड़कर वो चल दिये वन को चलो वापस उन्हें फिर हम बुलाते हैं 🙏दिपावली की हार्दिक शुभकामनाए🙏 मुसाफिर रोहित पाल

#HappyDeepawali  चलो मिलकर दिवाली हम मनाते हैं 
कथा श्री राम जी की हम  सुनाते है
सभी सुख छोड़कर  वो चल दिये वन को
चलो वापस उन्हें फिर हम बुलाते हैं 
🙏दिपावली की हार्दिक शुभकामनाए🙏
मुसाफिर रोहित पाल

मिला करते थे जहाँ हम तुम ठिकाना याद है तुमको सुना है उस जगह कोई नही अब और जाता है तुम्हारी पैर की पायल खनकती है वहाँ अब भी गुजरता हूँ वहाँ से जब सुनाई शोर आता है मुसाफिर रोहित पाल

#Stories  मिला करते थे जहाँ हम तुम ठिकाना याद है तुमको 
सुना है उस जगह कोई नही अब और जाता है 
तुम्हारी पैर की पायल खनकती है वहाँ अब भी 
गुजरता हूँ वहाँ से जब सुनाई शोर आता है 
मुसाफिर रोहित पाल

#Stories

3 Love

तुम्हारे बिन गुजारी रात है मैने सवँर कर क्यो कही तुम और जाती है मुसाफिर रोहित पाल

#शायरी  तुम्हारे बिन गुजारी रात है मैने 
सवँर कर क्यो कही तुम और जाती है

मुसाफिर रोहित पाल

तुम्हारी बात करता हूँ जमाने से जमाना फिर मुझे शायर समझता है मुसाफिर रोहित पाल

 तुम्हारी बात करता हूँ  जमाने से
जमाना फिर मुझे शायर समझता है 
          
मुसाफिर रोहित पाल

तुम्हारी बात करता हूँ जमाने से जमाना फिर मुझे शायर समझता है मुसाफिर रोहित पाल

5 Love

तुम्हारी बात करता हूँ जमाने से जमाना फिर मुझे शायर समझता है

 तुम्हारी बात करता हूँ  जमाने से
जमाना फिर  मुझे शायर समझता है

तुम्हारी बात करता हूँ जमाने से जमाना फिर मुझे शायर समझता है

4 Love

मैं क्यो लिखता हूँ जब घर से दूर एक बंद कमरे में खुद को अकेला महसूस करता हूँ मैं तब लिखता हूँ जब रात को नींद नही आती करवटें बदलते हुये सोने की कोशिश करता हूँ फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है मैं तब लिखता हूँ जब मुझे चारो ओर से परेशानीयां जकड लेती है अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ फिर पिता का दिया हौसला याद आता है मैं तब लिखता हूँ। मुसाफिर रोहित पाल

#मै_तब_लिखता_हूँ #poem  मैं क्यो लिखता हूँ
जब घर से दूर
एक बंद कमरे में 
खुद को अकेला महसूस करता हूँ
मैं तब लिखता हूँ
जब रात को नींद नही आती
करवटें बदलते हुये
 सोने की कोशिश करता हूँ
फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है
 मैं तब लिखता हूँ
जब मुझे चारो ओर से
परेशानीयां जकड लेती है
अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ
फिर पिता का दिया हौसला याद आता है
मैं तब लिखता हूँ।
मुसाफिर रोहित पाल
Trending Topic