कानों में कदम्बपुष्प कुंडल,
मनमोहक छवि, कपोल सुन्दर,
तुम एकमात्र बृज प्राणाधार,
तुम नन्द बाबा के दुलार,
तुम एकमात्र आनंददायक,
तुम ग्वालसखा, तुम गोपालक,
तुम निकट अति तुम दुर्लभतम,
गोपाल! मेरा शत–शत प्रणाम।। श्री.....।
©Tara Chandra
श्रीकृष्ण_स्तुति 4/8