लोग आयेंगे -----पहले आगाज तो हो
मिलेंगे भी -हाकि़म -ए -मजाज तो हो
राह इतनी भी ---- है मुश्किल तो नहीं
मिलेगी मंजिल भी तेरा अंदाज तो हो
सिर्फ सपने को ---पर लगाया है तुमने
तेरे हौसले में भी--कुछ परवाज तो हो
इतनी खामोशी है जैसे कोई गूंगी बस्ती
भविष्य की खातिर ही -आवाज तो हो
गीत तरन्नुम में --------- कैसे कोई सुनाये
उनकी महफिल में संजय साज तो हो
©संजय श्रीवास्तव
#saath