लोग आयेंगे -----पहले आगाज तो हो मिलेंगे भी -हाकि़म | हिंदी शायरी

"लोग आयेंगे -----पहले आगाज तो हो मिलेंगे भी -हाकि़म -ए -मजाज तो हो राह इतनी भी ---- है मुश्किल तो नहीं मिलेगी मंजिल भी तेरा अंदाज तो हो सिर्फ सपने को ---पर लगाया है तुमने तेरे हौसले में भी--कुछ परवाज तो हो इतनी खामोशी है जैसे कोई गूंगी बस्ती भविष्य की खातिर ही -आवाज तो हो गीत तरन्नुम में --------- कैसे कोई सुनाये उनकी महफिल में संजय साज तो हो ©संजय श्रीवास्तव"

 लोग आयेंगे -----पहले आगाज तो हो
मिलेंगे भी -हाकि़म -ए -मजाज तो हो

राह इतनी भी ---- है मुश्किल तो नहीं 
मिलेगी मंजिल भी तेरा अंदाज तो हो

सिर्फ सपने को ---पर लगाया है तुमने
तेरे हौसले में भी--कुछ परवाज तो हो

इतनी खामोशी है जैसे कोई गूंगी बस्ती
भविष्य की खातिर ही  -आवाज तो हो

गीत तरन्नुम में --------- कैसे कोई सुनाये 
उनकी महफिल में संजय    साज तो हो

©संजय श्रीवास्तव

लोग आयेंगे -----पहले आगाज तो हो मिलेंगे भी -हाकि़म -ए -मजाज तो हो राह इतनी भी ---- है मुश्किल तो नहीं मिलेगी मंजिल भी तेरा अंदाज तो हो सिर्फ सपने को ---पर लगाया है तुमने तेरे हौसले में भी--कुछ परवाज तो हो इतनी खामोशी है जैसे कोई गूंगी बस्ती भविष्य की खातिर ही -आवाज तो हो गीत तरन्नुम में --------- कैसे कोई सुनाये उनकी महफिल में संजय साज तो हो ©संजय श्रीवास्तव

#saath

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