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मुझसे मिलोगे तो दिल में उतर जाऊंगा
क्या सचमुच हम चाहने लगते हैं बिना मिले ही किसी को शायद हां पहला प्रेम भी तो बिना मिले हुआ जब प्यासा की नायिका को देखकर पागलों की तरह बाहर निकला दिलों दिमाग पर जाने कब तक उसका नशा छाया रहा क्या पता मिलने के बाद भी उम्र के किसी दौर में किसी से प्रेम हुआ हो लेकिन याद नहीं अपूर्णता का अहसास ही ताउम्र जिंदा रखता है उस प्रेम को जिसमें सब कुछ सोच लेते हैं कल्पनाओं में ही सही क्यूंकि पता होता है यथार्थ की कड़वाहट शायद बर्दाश्त नहीं होता आखिर क्यूं या फिर क्या महसूस करते हैं चेहरा अल्फ़ाज़ या कोमल उंगलियों के पोर कुछ तो होता है वरना आज फिर से दूर होते चांद को नजदीक से देखने की चाहत उस पर फिर दिल ने कहा यही तो है तुम्हारी मुहब्बत ©संजय श्रीवास्तव
संजय श्रीवास्तव
16 Love
White कोई कहानी लिखी जा रही थी मगर एक किरदार तुमने निभाया नहीं वेदना अंतर्मन में घुमड़ती ही रही एक कतरा भी आंसूं बहाया नहीं दूर हम जो हुये तुम भी दूर हो गये यूं कि मिलने से भी मजबूर हो गये ख्वाब मिलकर देखा किये हमने जो सब के सब पल में चकनाचूर हो गये सोचकर तुमको मैं भी लिखने लगा सच तो है मैने तुमको भुलाया नही जब भी मौसम हसीन सुहाना हुआ दिल पर मेरे किसी ने दस्तक दिया झूमकर सरसराती पवन जब चली ऐसा लगता प्रियतम ने मुझको छुआ दिल के कोने में तुमको छिपाकर रखा तुम मिले भी तो तुमको बताया नही कोई कहानी लिखी जा रही थी मगर एक किरदार तुमने निभाया नहीं ©संजय श्रीवास्तव
11 Love
White सच बताना क्या तुम्हे --- मेरा नाम याद रहेगा साथ गुजरा जहां वो दर- ओ- बाम याद रहेगा बंद मुट्ठी में लिये फिरते हैं --हम अफसाना तेरा यूं भी होता मुहब्बत मे कोई नाकाम याद रहेगा तिरी आंखों की लाली कह जाती है बहुत कुछ हमें भी अपनी मुहब्बत का अंजाम याद रहेगा लगा दे आग कि जल जायें हर निशानी अपनी दफ्न हो जाना अपने किस्से- तमाम याद रहेगा कोई सोचे भी तो क्यूं सोचे ---तेरे बारे में संजय लगे है जितने भी तुझ पर-- इल्जाम याद रहेगा ©संजय श्रीवास्तव
15 Love
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White राह में चलना इतना भी दुश्वार नही था नजर में उनका इतना इंतजार नही था ढूंढ ली है हमने एक अनजान बस्ती इश्क का जहां कोई कारोबार नही था पलट कर देखा भी नही उसने हमको कहो फिर मुहब्बत का इजहार नही था रात भर गुजरी मेरी रात उसके पहलू में क्या कहा ये मुहब्बत का इकरार नही था तोड़ दिया अपना वादा किसी मजबूरी में हमको भी संजय उस पर एतबार नहीं था ©संजय श्रीवास्तव
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