Life Like जिंदगी और लोग पहर-पहर ठहरते दिन को; र | English Poetry

"Life Like जिंदगी और लोग पहर-पहर ठहरते दिन को; रात्रि ठहरी, अब विश्राम दो। मेघों की गर्जना से, क्या विप्लवता, तुम प्रमाण दो।। तपिस यहां, अंगारों-सी; सिसकती जिंदगी, कहते तुम विशाल आवाज दो। रणभूमि नहीं, जीवन ये तेरा- क्यों जन-जन को युद्ध का मैदान दो ? पतित कहा, संघर्ष ये धरा; अब तुम हुंकार भरो। रागों को समेट तू अब ए-जिंदगी; स्वयं, प्रज्ञान-सी एक प्रकाश दो। छोड़ उम्मीदें, उम्मीदों के रखवालों से; विस्मृत स्मृतियां, खुद को एक आवाज दो। जो बह गए दरिया में साथ चलते-चलते; छोड़ उन्हें, कर्मो में खुद को एक एहसास दो।। आखिर, जिंदगी है अपनी, उन्हे अपनी तो एक मुस्कान दो।। ©Saurav life"

 Life Like  जिंदगी और लोग


पहर-पहर ठहरते दिन को;
रात्रि ठहरी, अब विश्राम दो।
मेघों की गर्जना से,
क्या विप्लवता, तुम प्रमाण दो।।


तपिस यहां, अंगारों-सी;
सिसकती जिंदगी, कहते तुम विशाल आवाज दो।
रणभूमि नहीं, जीवन ये तेरा-
क्यों जन-जन को युद्ध का मैदान दो ?


पतित कहा, संघर्ष ये धरा;
अब तुम हुंकार भरो।
रागों को समेट तू अब ए-जिंदगी;
स्वयं, प्रज्ञान-सी एक प्रकाश दो।


छोड़ उम्मीदें, उम्मीदों के रखवालों से;
विस्मृत स्मृतियां, खुद को एक आवाज दो।
जो बह गए दरिया में साथ चलते-चलते;
छोड़ उन्हें, कर्मो में खुद को एक एहसास दो।।
आखिर,
जिंदगी है अपनी, उन्हे अपनी तो एक मुस्कान दो।।

©Saurav life

Life Like जिंदगी और लोग पहर-पहर ठहरते दिन को; रात्रि ठहरी, अब विश्राम दो। मेघों की गर्जना से, क्या विप्लवता, तुम प्रमाण दो।। तपिस यहां, अंगारों-सी; सिसकती जिंदगी, कहते तुम विशाल आवाज दो। रणभूमि नहीं, जीवन ये तेरा- क्यों जन-जन को युद्ध का मैदान दो ? पतित कहा, संघर्ष ये धरा; अब तुम हुंकार भरो। रागों को समेट तू अब ए-जिंदगी; स्वयं, प्रज्ञान-सी एक प्रकाश दो। छोड़ उम्मीदें, उम्मीदों के रखवालों से; विस्मृत स्मृतियां, खुद को एक आवाज दो। जो बह गए दरिया में साथ चलते-चलते; छोड़ उन्हें, कर्मो में खुद को एक एहसास दो।। आखिर, जिंदगी है अपनी, उन्हे अपनी तो एक मुस्कान दो।। ©Saurav life

#Lifelike
#sauravlife

R... Ojha @Lamha @Namit

People who shared love close

More like this

Trending Topic