जीत खुद से ही जीतने की जिद्द बना तू हर मुश्किल से | हिंदी कविता

"जीत खुद से ही जीतने की जिद्द बना तू हर मुश्किल से कर डटकर सामना तू तोड़ दे पैरों की हर बेड़ियां तू मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं दिखा उन आंधियों को टुटी हुई बेड़ियां दे रही जो चुनौतियां तुझे हार मानूंगा नहीं जता दे उन्हें जो धिक्कार रहे थे तेरी जमींर को मायूस मत हो वजूद तेरा छोटा नहीं तु वो कर सकता है जो किसी ने सोचा नहीं दुनिया की औकात नहीं जो तुझे उड़ने से रोके कैद है तू अपने ही नजरिए के पिंजरे में ©Deepika Yadav"

 जीत

खुद से ही जीतने की जिद्द बना तू
हर मुश्किल से कर डटकर सामना तू
  तोड़ दे पैरों की हर बेड़ियां  तू

मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं
दिखा उन आंधियों को टुटी हुई बेड़ियां 
दे रही  जो चुनौतियां तुझे
हार मानूंगा नहीं जता दे उन्हें 
जो धिक्कार रहे थे तेरी जमींर को

मायूस मत हो वजूद तेरा छोटा नहीं
तु वो कर सकता है जो किसी ने सोचा नहीं
दुनिया की औकात नहीं जो तुझे उड़ने से रोके 
कैद है तू अपने ही नजरिए के पिंजरे में

©Deepika Yadav

जीत खुद से ही जीतने की जिद्द बना तू हर मुश्किल से कर डटकर सामना तू तोड़ दे पैरों की हर बेड़ियां तू मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं दिखा उन आंधियों को टुटी हुई बेड़ियां दे रही जो चुनौतियां तुझे हार मानूंगा नहीं जता दे उन्हें जो धिक्कार रहे थे तेरी जमींर को मायूस मत हो वजूद तेरा छोटा नहीं तु वो कर सकता है जो किसी ने सोचा नहीं दुनिया की औकात नहीं जो तुझे उड़ने से रोके कैद है तू अपने ही नजरिए के पिंजरे में ©Deepika Yadav

खुद से ही जीतने की जिद्द बना तु

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