भूख की गर्माहटों से     रात भर जगता रहा   &nb

"भूख की गर्माहटों से     रात भर जगता रहा         उस क्षितिज को देखकर             वो खूब ललचाता रहा चांद पर उंगली रखी है,     आज उसको खाने को          मां ने उसको चुप किया है,              थपकी दी सो जाने को   क्या ही ये वो समझ पाता    की रोटी है, या चाँद है         भूख गहरी आँखे, टिमटिम              भोलेपन का भाव है रुग्णता से देह कप-कप     फिर भी मन मे आश है         आज नही तो कल सही            ये कई जन्मों का प्यास है ©Sanu Pandey "

भूख की गर्माहटों से     रात भर जगता रहा         उस क्षितिज को देखकर             वो खूब ललचाता रहा चांद पर उंगली रखी है,     आज उसको खाने को          मां ने उसको चुप किया है,              थपकी दी सो जाने को   क्या ही ये वो समझ पाता    की रोटी है, या चाँद है         भूख गहरी आँखे, टिमटिम              भोलेपन का भाव है रुग्णता से देह कप-कप     फिर भी मन मे आश है         आज नही तो कल सही            ये कई जन्मों का प्यास है ©Sanu Pandey

भूख की गर्माहटों से
    रात भर जगता रहा
        उस क्षितिज को देखकर
            वो खूब ललचाता रहा

चांद पर उंगली रखी है,
    आज उसको खाने को
         मां ने उसको चुप किया है,

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