नींद (दोहे)
सबसे प्यारी नींद है, पूरी करना मान।
जिसको आती यह नहीं, होता वह हैरान।।
थका-थका तब वह लगे, नींद करे बेहाल।
जब तक सोता है नहीं, पीड़ित रहे कपाल।।
बना रहे व्यवधान भी, काम रहे नाकाम।
त्रुटियों से भरपूर वह, अनुचित हो अंजाम।।
आती खुद से नींद जब, उचित रहे व्यवहार।
सफल रहे वह काम में, जीवन सुखी अपार।।
आती खुद से है नहीं, निद्रा जिसको जान।
लेनी पड़ती है दवा, पूरी होती मान।।
ईश्वर ने दी नींद है, उचित करो उपयोग।
समय-समय पर लें इसे, दूर रहें तब रोग।।
अधिक समय इस नींद को, देना मत तुम मान।
काम सभी हों देर से, बनो नहीं नादान।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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नींद (दोहे)
सबसे प्यारी नींद है, पूरी करना मान।
जिसको आती यह नहीं, होता वह हैरान।।
थका-थका तब वह लगे, नींद करे बेहाल।