मेरी सारी नाराजगी इक पल मे मिटा देती थी| मुझको मना | हिंदी शायरी

"मेरी सारी नाराजगी इक पल मे मिटा देती थी| मुझको मनाने के लिए वो छत पर आ ,कान पकड़ उठक बैठक लगा देती थी|| #पागल सुमित कोरी ©Pagal"

 मेरी सारी नाराजगी इक पल मे मिटा देती थी|
मुझको मनाने के लिए
वो छत पर आ ,कान पकड़
 उठक बैठक लगा देती थी||     
 #पागल सुमित कोरी

©Pagal

मेरी सारी नाराजगी इक पल मे मिटा देती थी| मुझको मनाने के लिए वो छत पर आ ,कान पकड़ उठक बैठक लगा देती थी|| #पागल सुमित कोरी ©Pagal

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