चिचिलाती धूप में भी महकती अदरक वाली चाय की चुस्कि | हिंदी कविता

"चिचिलाती धूप में भी महकती अदरक वाली चाय की चुस्कियां, मुझको पसंद है हलकी फुलकी सावन की फुहारों में किसी जामुन के पेड़ पर झूले की पेंगे भरती सुकुमारियां मुझको पसंद है अपने प्रेम को टिफ़िन में भर कर देती हुई नयी नवेली घरवालियां मुझको पसंद है इतवार की दोपहर में चाह कर भी न टूटने वाली अंगड़ाइयां , मुझको पसंद है।"

 चिचिलाती धूप में भी
महकती अदरक वाली 
चाय की चुस्कियां,
 मुझको पसंद है
हलकी फुलकी सावन की फुहारों में
किसी जामुन के पेड़ पर 
झूले की पेंगे भरती सुकुमारियां 
मुझको पसंद है
अपने प्रेम को 
टिफ़िन में भर कर देती हुई
नयी नवेली घरवालियां 
मुझको पसंद है
इतवार की दोपहर में
चाह कर भी न टूटने वाली
अंगड़ाइयां , मुझको पसंद है।

चिचिलाती धूप में भी महकती अदरक वाली चाय की चुस्कियां, मुझको पसंद है हलकी फुलकी सावन की फुहारों में किसी जामुन के पेड़ पर झूले की पेंगे भरती सुकुमारियां मुझको पसंद है अपने प्रेम को टिफ़िन में भर कर देती हुई नयी नवेली घरवालियां मुझको पसंद है इतवार की दोपहर में चाह कर भी न टूटने वाली अंगड़ाइयां , मुझको पसंद है।

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