हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा देती हूं | हिंदी कविता

"हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा देती हूं... वो कैसी है? अरे ! वो तो ऐसी है... कम बोलू तो घमंडी बाते करु तो बातूनी है कभी पतली हूं जैसे डंडी , कभी मोटी हूं जैसे पानी की टंकी.. गोरी ,काली , लंबी,, नाटी.. एक पर्चा सदा , हमारे लिए सबके हाथ मे रहता है.. ये सभी बाते पूरानी है.. नये समय के आधुनिक लोगो की बात निराली है.. अब पर्चा नही एक file है.. but its ok.. अब जब परचम है लहराना तो पर्चा हो या file हवा मे है उङाना... धरती से आसमान तक हमारी उड़ान है हम घर के अंदर रहे ,या कदम दहलीज के पार रखे परखने का हमे न किसी को अधिकार है... संस्कार, संस्कृति को समझने की समझने की है समझदारी हां पर जब बात हो हमारे सम्मान की तो "ना" कहने की है तैयारी शायद थोड़ा सा आपको अलग लगेगा... पर आदत डाल लेना सभी के लिए अच्छा रहेगा.. ममता ,प्रेम, स्नेह ,समर्पण से आज भी मे भरी हूं ये मेरी ताकत है , और मै आज शस्त्र और शास्त्र से संवरी हूं... ©Yogita Harne"

 हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा  देती हूं...
वो कैसी है? अरे ! वो तो ऐसी है...
  कम बोलू तो घमंडी  बाते करु तो बातूनी है
कभी पतली हूं जैसे  डंडी , कभी  मोटी हूं  जैसे पानी की टंकी..
गोरी ,काली , लंबी,, नाटी.. 
एक पर्चा सदा , हमारे लिए सबके हाथ मे रहता है..
ये सभी बाते पूरानी है..
नये समय के आधुनिक लोगो की बात निराली है..
अब पर्चा नही एक file है..
but its ok..
अब जब  परचम है लहराना 
तो पर्चा हो या file  हवा मे है उङाना...
धरती से आसमान  तक हमारी उड़ान है
हम घर के अंदर रहे ,या कदम दहलीज  के पार रखे
परखने का हमे न किसी को अधिकार है...
संस्कार, संस्कृति को समझने की समझने  की  है समझदारी 
हां पर जब बात हो हमारे सम्मान की तो "ना" कहने की है तैयारी
शायद थोड़ा सा आपको अलग लगेगा...
पर आदत डाल लेना  सभी के लिए अच्छा रहेगा..
ममता ,प्रेम,  स्नेह ,समर्पण से आज भी मे भरी हूं
ये मेरी ताकत है , और मै आज शस्त्र और शास्त्र  से संवरी हूं...

©Yogita Harne

हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा देती हूं... वो कैसी है? अरे ! वो तो ऐसी है... कम बोलू तो घमंडी बाते करु तो बातूनी है कभी पतली हूं जैसे डंडी , कभी मोटी हूं जैसे पानी की टंकी.. गोरी ,काली , लंबी,, नाटी.. एक पर्चा सदा , हमारे लिए सबके हाथ मे रहता है.. ये सभी बाते पूरानी है.. नये समय के आधुनिक लोगो की बात निराली है.. अब पर्चा नही एक file है.. but its ok.. अब जब परचम है लहराना तो पर्चा हो या file हवा मे है उङाना... धरती से आसमान तक हमारी उड़ान है हम घर के अंदर रहे ,या कदम दहलीज के पार रखे परखने का हमे न किसी को अधिकार है... संस्कार, संस्कृति को समझने की समझने की है समझदारी हां पर जब बात हो हमारे सम्मान की तो "ना" कहने की है तैयारी शायद थोड़ा सा आपको अलग लगेगा... पर आदत डाल लेना सभी के लिए अच्छा रहेगा.. ममता ,प्रेम, स्नेह ,समर्पण से आज भी मे भरी हूं ये मेरी ताकत है , और मै आज शस्त्र और शास्त्र से संवरी हूं... ©Yogita Harne

#womeninternational

People who shared love close

More like this

Trending Topic