Yogita Harne

Yogita Harne

मन मे उठते भावो को कागज पर उतार लेती हूँ

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#कविता

shakti

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एक अरसा बीत गया , अरिसे मे खूद को निहारे बहुत कुछ बिखरे ,पर आइने मे ही है संवरे हर रोज़ आइने मे जो अक्स नज़र आता है संवरा और संभला सा शक्स न जाने क्यों अनजाना सा लगता है होठो की मुस्कुराहट को आइना ही हे जाचता आंखो की नमी को भी आइना ही है समेटता कई अनकही कहानियां आइना सून है लेता हर दिन हर सुबह आत्मविश्वास भी वही है देता... अनजाने से अक्स मे भी आइना अपना सा है लगता!!! ©Yogita Harne

#मोटिवेशनल #aaina  एक अरसा बीत गया , अरिसे मे खूद  को निहारे
बहुत कुछ  बिखरे ,पर आइने मे ही है संवरे

हर रोज़ आइने मे जो अक्स नज़र आता है 
 संवरा और संभला  सा शक्स न जाने क्यों अनजाना सा लगता है

होठो की मुस्कुराहट को आइना ही हे जाचता 
आंखो की नमी को भी आइना ही है समेटता 

कई अनकही कहानियां आइना सून  है लेता 
हर दिन  हर सुबह आत्मविश्वास भी वही है देता...

अनजाने से अक्स मे भी आइना अपना सा है लगता!!!

©Yogita Harne

#aaina Mera Aks

16 Love

जीवन रंगोली है, कई रंगों की ,हर रंग की अपनी कहानी है होठो की मुस्कुराहट की परिकल्पना ,आंखो की दास्तान की रवानी है कुछ रंग सपनो के ,कुछ रअपनो के संग . जिम्मेदारियो का क्रम ,आशान्वित उमंग... हर रंगो से अलंकृत यह हमारी है रंगोली दहन निर्वहण अंत आरंभ यही है होली हर एक हवा के झोंके से रंग बिखर है जाते समेटकर संवारने मे मनमोहक रूप निखर है आते .. ©Yogita Harne

#कविता  जीवन रंगोली है, कई रंगों की ,हर रंग की अपनी कहानी है
होठो की मुस्कुराहट की परिकल्पना ,आंखो की दास्तान  की रवानी है
कुछ रंग सपनो के ,कुछ रअपनो के संग .
जिम्मेदारियो का क्रम ,आशान्वित उमंग...
हर रंगो से अलंकृत यह हमारी है रंगोली
दहन  निर्वहण  अंत आरंभ यही है होली
हर एक हवा के झोंके से रंग बिखर है जाते
समेटकर संवारने मे मनमोहक रूप निखर है  आते 

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©Yogita Harne

रंग

14 Love

Dear Shivani... तुम बिल्कुल अपनी मां की हो परछाई सूरत सीरत और लगन विरासत मे है पाई... हां यह सच है आज तुम्हारी मेहनत है रंग लाई यह पूर्णिमा मेडम के कर्मो की पूर्णिता है आशीष लेकर है आई.. कई जीवनो को उन्होंने है संवारा पद और प्रसिद्धि ही नहीं, कमाई हुई दुआओं का है यह सवेरा.. तुम भी इन गुणों साथ अपने जीवन में आगे बढ़ो अपने सपनों में रंग भरो जीवन के क्षितिज पर सदा चमकती रहो.. ©Yogita Harne

#कविता  Dear Shivani...
तुम बिल्कुल अपनी मां की हो  परछाई 
सूरत सीरत और लगन  विरासत मे है पाई...
हां यह सच है आज तुम्हारी मेहनत है रंग लाई 
 यह पूर्णिमा मेडम के कर्मो की पूर्णिता है आशीष लेकर है आई..
कई  जीवनो  को उन्होंने है संवारा 
पद और प्रसिद्धि ही नहीं, कमाई हुई दुआओं का है यह सवेरा..
तुम भी इन गुणों साथ अपने जीवन में आगे बढ़ो 
अपने सपनों में रंग भरो
जीवन के क्षितिज पर सदा चमकती रहो..

©Yogita Harne

Dear Shivani... तुम बिल्कुल अपनी मां की हो परछाई सूरत सीरत और लगन विरासत मे है पाई... हां यह सच है आज तुम्हारी मेहनत है रंग लाई यह पूर्णिमा मेडम के कर्मो की पूर्णिता है आशीष लेकर है आई.. कई जीवनो को उन्होंने है संवारा पद और प्रसिद्धि ही नहीं, कमाई हुई दुआओं का है यह सवेरा.. तुम भी इन गुणों साथ अपने जीवन में आगे बढ़ो अपने सपनों में रंग भरो जीवन के क्षितिज पर सदा चमकती रहो.. ©Yogita Harne

13 Love

#विचार

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हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा देती हूं... वो कैसी है? अरे ! वो तो ऐसी है... कम बोलू तो घमंडी बाते करु तो बातूनी है कभी पतली हूं जैसे डंडी , कभी मोटी हूं जैसे पानी की टंकी.. गोरी ,काली , लंबी,, नाटी.. एक पर्चा सदा , हमारे लिए सबके हाथ मे रहता है.. ये सभी बाते पूरानी है.. नये समय के आधुनिक लोगो की बात निराली है.. अब पर्चा नही एक file है.. but its ok.. अब जब परचम है लहराना तो पर्चा हो या file हवा मे है उङाना... धरती से आसमान तक हमारी उड़ान है हम घर के अंदर रहे ,या कदम दहलीज के पार रखे परखने का हमे न किसी को अधिकार है... संस्कार, संस्कृति को समझने की समझने की है समझदारी हां पर जब बात हो हमारे सम्मान की तो "ना" कहने की है तैयारी शायद थोड़ा सा आपको अलग लगेगा... पर आदत डाल लेना सभी के लिए अच्छा रहेगा.. ममता ,प्रेम, स्नेह ,समर्पण से आज भी मे भरी हूं ये मेरी ताकत है , और मै आज शस्त्र और शास्त्र से संवरी हूं... ©Yogita Harne

#womeninternational #कविता  हर दिन मे आंकी जाती हूं, हर क्षण परिक्षा  देती हूं...
वो कैसी है? अरे ! वो तो ऐसी है...
  कम बोलू तो घमंडी  बाते करु तो बातूनी है
कभी पतली हूं जैसे  डंडी , कभी  मोटी हूं  जैसे पानी की टंकी..
गोरी ,काली , लंबी,, नाटी.. 
एक पर्चा सदा , हमारे लिए सबके हाथ मे रहता है..
ये सभी बाते पूरानी है..
नये समय के आधुनिक लोगो की बात निराली है..
अब पर्चा नही एक file है..
but its ok..
अब जब  परचम है लहराना 
तो पर्चा हो या file  हवा मे है उङाना...
धरती से आसमान  तक हमारी उड़ान है
हम घर के अंदर रहे ,या कदम दहलीज  के पार रखे
परखने का हमे न किसी को अधिकार है...
संस्कार, संस्कृति को समझने की समझने  की  है समझदारी 
हां पर जब बात हो हमारे सम्मान की तो "ना" कहने की है तैयारी
शायद थोड़ा सा आपको अलग लगेगा...
पर आदत डाल लेना  सभी के लिए अच्छा रहेगा..
ममता ,प्रेम,  स्नेह ,समर्पण से आज भी मे भरी हूं
ये मेरी ताकत है , और मै आज शस्त्र और शास्त्र  से संवरी हूं...

©Yogita Harne
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