मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में। मेरा

"मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में। मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।। फिर उसी बचपन में जाने का मन करता है। कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।"

 मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में।
मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।।
फिर उसी बचपन में जाने का
मन करता है।
कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।

मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में। मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।। फिर उसी बचपन में जाने का मन करता है। कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।

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