Sumit Kumar Singh

Sumit Kumar Singh Lives in Angul, Odisha, India

मेरी कलम कुछ ऐसा लिख जाएगी । यह सब वाकया किसी न किसी में दिख जायगी ।।

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हमे देखकर आप यू ना चेहरा छुपाया करे अपने सहेलियों को यू ना सब कुछ बताया करे पाय है हम आपको कितने मन्यतो के बाद कभी कभी हमें भी ढेखकर आप मुस्कुराया करे माना मैं आपके खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं गुज़ारिश है आपसे की मेरे मुहब्बत का मजाक ना उराया करे ।।

#शायरी  हमे देखकर आप यू ना चेहरा छुपाया करे
अपने सहेलियों को यू ना सब कुछ बताया करे
पाय है हम आपको कितने मन्यतो के बाद
कभी कभी हमें भी ढेखकर आप  मुस्कुराया करे 
माना मैं आपके खूबसूरती के
आगे कुछ भी नहीं
गुज़ारिश है आपसे की मेरे मुहब्बत का मजाक ना
उराया करे ।।

हमे देखकर आप यू ना चेहरा छुपाया करे अपने सहेलियों को यू ना सब कुछ बताया करे पाय है हम आपको कितने मन्यतो के बाद कभी कभी हमें भी ढेखकर आप मुस्कुराया करे माना मैं आपके खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं गुज़ारिश है आपसे की मेरे मुहब्बत का मजाक ना उराया करे ।।

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मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में। मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।। फिर उसी बचपन में जाने का मन करता है। कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।

#अनुभव  मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में।
मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।।
फिर उसी बचपन में जाने का
मन करता है।
कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।

मै रातो को सो नही पाता अंधेरा या उजालों में। मेरा मन घूमते रहता है गांव की उसी गलियारों में।। फिर उसी बचपन में जाने का मन करता है। कोई हो अपना जिससे लिपटकर रोने का मन करता है ।।

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मेरी फोटो को फेसबुक में देखकर ओ जरूर मुस्कुराती होगी खुश होकर इस कदर बलखाती होगी कोई पूछ ले उनकी खुशी के राज को तो कसम खुदा की ओ मुझसे ज्यादा खुद से सरमाती होगी ।।

#शायरी  मेरी फोटो को फेसबुक में देखकर
ओ जरूर मुस्कुराती होगी
खुश होकर इस कदर बलखाती होगी
कोई पूछ ले उनकी खुशी के राज को तो कसम खुदा की
ओ मुझसे ज्यादा खुद से सरमाती होगी ।।

मेरी फोटो को फेसबुक में देखकर ओ जरूर मुस्कुराती होगी खुश होकर इस कदर बलखाती होगी कोई पूछ ले उनकी खुशी के राज को तो कसम खुदा की ओ मुझसे ज्यादा खुद से सरमाती होगी ।।

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चेहरे कि हसी अब दुर हो गई हैं जो रास्ते थे सिधे वो मुर सी गई हैं उम्मीदों के सहारे चला जा रहा हूं हर मोड़ से कोई हमें सच्चाई से अवगत तो करादे कि तेरे सरीर से आत्मा दुर हो गई हैं जिन्दगी इस कदर का खेल दिखा चुका हमे कि फिर उसी उम्मीदों के लिए आना मजबूरी हो गई हैं (सुमित सिंह)

#कविता  चेहरे कि हसी अब दुर हो गई हैं
जो रास्ते थे सिधे वो मुर सी गई हैं
उम्मीदों के सहारे चला जा रहा हूं
हर मोड़ से
कोई हमें सच्चाई से अवगत तो करादे
कि
तेरे सरीर से आत्मा दुर हो गई हैं
जिन्दगी इस कदर का खेल दिखा चुका
हमे कि
फिर उसी उम्मीदों के लिए आना 
मजबूरी हो गई हैं
(सुमित सिंह)

चेहरे कि हसी अब दुर हो गई हैं जो रास्ते थे सिधे वो मुर सी गई हैं उम्मीदों के सहारे चला जा रहा हूं हर मोड़ से कोई हमें सच्चाई से अवगत तो करादे कि तेरे सरीर से आत्मा दुर हो गई हैं जिन्दगी इस कदर का खेल दिखा चुका हमे कि फिर उसी उम्मीदों के लिए आना मजबूरी हो गई हैं (सुमित सिंह)

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