वो रब इतनी खूबसूरत इमारत को, ढह जाने भी भला कैसे द
"वो रब इतनी खूबसूरत इमारत को,
ढह जाने भी भला कैसे देगा
जर्रा-जर्रा जिसका तराश कर बनाया ख़ुदा ने,
उस मेहनत को इतनी असानी से भला कैसे मिट जाने देगा.......
फर्जी गुलज़ार..."
वो रब इतनी खूबसूरत इमारत को,
ढह जाने भी भला कैसे देगा
जर्रा-जर्रा जिसका तराश कर बनाया ख़ुदा ने,
उस मेहनत को इतनी असानी से भला कैसे मिट जाने देगा.......
फर्जी गुलज़ार...