मांगेगी तू जो दूँगा मैं
एक कहेगी दो दूँगा मैं
होली पर मिलने आ जाना
दाग़ ये दिल के धो दूँगा मैं
खार सरीके दिल में तेरे
फूल ख़्वाब के बो दूँगा मैं
नाराज़ी का आलम ये है
बात करी तो रो दूँगा मैं
सब सपने तेरी आँखों के
मेरी आँखों को दूँगा मैं
दिल में मेरे डर है लेकिन
शायद तुझको खो दूँगा मैं
©संस्कार
ग़ज़ल ❤️
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