Miscarrige.... गर्भपात या भावनाओं को आघात अजन्मा | हिंदी Poetry

"Miscarrige.... गर्भपात या भावनाओं को आघात अजन्मा था पर दिल का टुकड़ा था!  देखा नहीं था उसे.. पर चाँद सा उसका मुखड़ा था! दिल की हर धड़कन पर नाम रहता था उसका  हर दिन हर पल.. बस ध्यान रहता था उसका  हां रही थोड़ी परेशानी.. पर परेशानी का सबब बहुत प्यारा था  मेरी कोख में भी एक छोटा सा सितारा था  मगर वो दिन आया की मेरा नसीब उससे ना मिला  वो आया ही नहीं गोद में और कोख में भी ना हिला धड़कने रुक गयी उसकी मेरी समझ के परे था  हर सपना टूट गया जो मोतियों से जड़े था  दर्द की हर आह में उसे खोने का गम था  वह शरीर से जुदा होता रहा...  और मुझे अब भी उसके होने का भरम था  वो खून के कतरों में खो सा गया था ..  एक खाली पन मुझमें हो सा गया था  वो मंजर मुझे जोर से झकझोड़ रहा है  अंदर ही अंदर मेरी भावनाओ को तोड़ रहा है  अकेली रह गयी मैं मेरा सितारा खो गया  आँसू, बेबसी, मायूसी और मेरा अकेलापन मुझमें रह गया  कोई समझ नहीं पायेगा इस अनदेखे रिश्ते को  मगर एक माँ कैसे भूलेगी.. अपने शरीर के हिस्से को जीवन भर अफ़सोस और अपराधबोध रहेगा  मेरा दिल का टुकड़ा मुझमें सारी सारी उम्र रहेगा -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna"

 Miscarrige.... गर्भपात या भावनाओं को आघात


अजन्मा था पर दिल का टुकड़ा था! 
देखा नहीं था उसे.. पर चाँद सा उसका मुखड़ा था! 
दिल की हर धड़कन पर नाम रहता था उसका 
हर दिन हर पल.. बस ध्यान रहता था उसका 
हां रही थोड़ी परेशानी.. पर परेशानी का सबब बहुत प्यारा था 
मेरी कोख में भी एक छोटा सा सितारा था 
मगर वो दिन आया की मेरा नसीब उससे ना मिला 
वो आया ही नहीं गोद में और कोख में भी ना हिला 
धड़कने रुक गयी उसकी मेरी समझ के परे था 
हर सपना टूट गया जो मोतियों से जड़े था 
दर्द की हर आह में उसे खोने का गम था 
वह शरीर से जुदा होता रहा... 
और मुझे अब भी उसके होने का भरम था 
वो खून के कतरों में खो सा गया था .. 
एक खाली पन मुझमें हो सा गया था 
वो मंजर मुझे जोर से झकझोड़ रहा है 
अंदर ही अंदर मेरी भावनाओ को तोड़ रहा है 
अकेली रह गयी मैं मेरा सितारा खो गया 
आँसू, बेबसी, मायूसी और मेरा अकेलापन मुझमें रह गया 
कोई समझ नहीं पायेगा इस अनदेखे रिश्ते को 
मगर एक माँ कैसे भूलेगी.. अपने शरीर के हिस्से को 
जीवन भर अफ़सोस और अपराधबोध रहेगा 
मेरा दिल का टुकड़ा मुझमें सारी सारी उम्र रहेगा
-कृष्णामरेश

©Amresh Krishna

Miscarrige.... गर्भपात या भावनाओं को आघात अजन्मा था पर दिल का टुकड़ा था!  देखा नहीं था उसे.. पर चाँद सा उसका मुखड़ा था! दिल की हर धड़कन पर नाम रहता था उसका  हर दिन हर पल.. बस ध्यान रहता था उसका  हां रही थोड़ी परेशानी.. पर परेशानी का सबब बहुत प्यारा था  मेरी कोख में भी एक छोटा सा सितारा था  मगर वो दिन आया की मेरा नसीब उससे ना मिला  वो आया ही नहीं गोद में और कोख में भी ना हिला धड़कने रुक गयी उसकी मेरी समझ के परे था  हर सपना टूट गया जो मोतियों से जड़े था  दर्द की हर आह में उसे खोने का गम था  वह शरीर से जुदा होता रहा...  और मुझे अब भी उसके होने का भरम था  वो खून के कतरों में खो सा गया था ..  एक खाली पन मुझमें हो सा गया था  वो मंजर मुझे जोर से झकझोड़ रहा है  अंदर ही अंदर मेरी भावनाओ को तोड़ रहा है  अकेली रह गयी मैं मेरा सितारा खो गया  आँसू, बेबसी, मायूसी और मेरा अकेलापन मुझमें रह गया  कोई समझ नहीं पायेगा इस अनदेखे रिश्ते को  मगर एक माँ कैसे भूलेगी.. अपने शरीर के हिस्से को जीवन भर अफ़सोस और अपराधबोध रहेगा  मेरा दिल का टुकड़ा मुझमें सारी सारी उम्र रहेगा -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna

#miscarriage

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