हर तरफ़ सन्नाटा
और अज़ीब सी ख़ामोशी
वीरान सड़कें
जैसे किसी के आने का
इंतज़ार कर रहीं हो !
ना स्कूल ना ट्यूशन
पूरा दिन ख़ाली और
मन की बैचैनी जैसे
अंदर ही अंदर
कोई सवाल कर रहीं हो !
हर वक़्त दौड़तीं भागती सोच
जैसे थम सी गयी हो और
घर की दीवारें मुझे घूर रहीं हो
और मुझसे एक अनसुना
सा सवाल कर रहीं हो
और मैं निःशब्द खड़ा हूँ
मानो!
मेरी सोच का मीटर
डाउन हो गया है
और मैं कहना चाहता हूँ
मेरी ही तरह मेरा शहर
लॉकडाउन हो गया है !
# संकल्प साग़र
#a thought of a school going child