नुवा फसल के धान चउर देव धामी के ठउर सुग्घर मया ल | हिंदी Poetry

"नुवा फसल के धान चउर देव धामी के ठउर सुग्घर मया ले कोया कुटुम संगरा मिल जुर खाबोन नवा धान के चउर खेत खार घलो हरियागे भादो पाख म धान लहलहागे नदिया नरवा म पानी बोहागे चउरा घर दुआर छुही लिपागे घर दुआर म मया के डोरी बंधागे नवा फसल के नवा तिहार आगे। आगे नवा खाई तिहार आगे।। ©LUСKY SINGH"

 नुवा फसल के धान चउर 
देव धामी के ठउर 
सुग्घर मया ले कोया कुटुम
संगरा मिल जुर खाबोन 
नवा धान के चउर 
खेत खार घलो हरियागे 
भादो पाख म धान लहलहागे
नदिया नरवा म पानी बोहागे 
चउरा घर दुआर छुही लिपागे 
घर दुआर म मया के डोरी बंधागे 
नवा फसल के नवा तिहार आगे। 
आगे नवा खाई तिहार आगे।।

©LUСKY SINGH

नुवा फसल के धान चउर देव धामी के ठउर सुग्घर मया ले कोया कुटुम संगरा मिल जुर खाबोन नवा धान के चउर खेत खार घलो हरियागे भादो पाख म धान लहलहागे नदिया नरवा म पानी बोहागे चउरा घर दुआर छुही लिपागे घर दुआर म मया के डोरी बंधागे नवा फसल के नवा तिहार आगे। आगे नवा खाई तिहार आगे।। ©LUСKY SINGH

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