फक़त वो दर्द देता हैं, यहीं नासूर की फितरत वो सबसे | हिंदी विचार

"फक़त वो दर्द देता हैं, यहीं नासूर की फितरत वो सबसे जीतना चाहें, यहीं मंसूर की फितरत दर्द रूपी हलाहल को, 'पीयूष' मानकर पीना यहीं मीरा कबीरा की, यहीं हैं सूर की फितरत"

 फक़त वो दर्द देता हैं, यहीं नासूर की फितरत
वो सबसे जीतना चाहें, यहीं मंसूर की फितरत
दर्द रूपी हलाहल को, 'पीयूष' मानकर पीना 
यहीं मीरा कबीरा की, यहीं हैं सूर की फितरत

फक़त वो दर्द देता हैं, यहीं नासूर की फितरत वो सबसे जीतना चाहें, यहीं मंसूर की फितरत दर्द रूपी हलाहल को, 'पीयूष' मानकर पीना यहीं मीरा कबीरा की, यहीं हैं सूर की फितरत

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