लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया, और मेरा ज़र्र
"लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया,
और मेरा ज़र्रा ज़र्रा प्यासा कुआँ हो गया,
एक कश में बुझा लेता प्यास गर तू सिगार होती,
पर मैं मृग सा अपनी ही कस्तूरी का शिकार हो गया ।"
लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया,
और मेरा ज़र्रा ज़र्रा प्यासा कुआँ हो गया,
एक कश में बुझा लेता प्यास गर तू सिगार होती,
पर मैं मृग सा अपनी ही कस्तूरी का शिकार हो गया ।