सूर्य प्रताप सिंह शक्तावत

सूर्य प्रताप सिंह शक्तावत Lives in Ratlam, Madhya Pradesh, India

तेरी खोज में भटकता मुसाफिर हूँ, शब्दो से दोस्ती हैं क्योंकि वो कुछ ठहराव देते हैं।

  • Latest
  • Popular
  • Video

आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा, अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा । यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग, शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

 आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा, अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा । यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग, शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

8 Love

आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा, अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा । यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग, शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

#शायरी  आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा,
अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा ।
यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग,
शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

आगाज़ तो कर अंजाम भी आएगा, अंधेरो में बस तेरा ही चराग जगमगाएगा । यूं तो समंदर में भी प्यासे मर जाते हैं लोग, शुरूआत तो कर ज़माने को तेरा इश्तियार जाएगा ।

10 Love

तूझे खोजूँ तो कैसे खोजूँ , तुम चीनी सी घुल जाती हो । होंठो से लगती हो जैसे ही, नस - नस में मिल जाती हो । छूती हो जैसे ही मुझको, परछाई तक मिल जाती है । हूँ कितना मैं खुद का खुद में, फिर बात समझ ना आती है ।

#कविता  तूझे खोजूँ तो कैसे खोजूँ ,
तुम चीनी सी घुल जाती हो ।
होंठो से लगती हो जैसे ही,
नस - नस में मिल जाती हो ।
छूती हो जैसे ही मुझको,
परछाई तक मिल जाती है ।
हूँ कितना मैं खुद का खुद में,
फिर बात समझ ना आती है ।

3 Love

जो बूंद तेरे चेहरे से आब की, मैंने पिछली बरसात में चुरा ली थी । इस बरसात में लौटाने को, अब तलक रखी है मुझमें कहीं ।

#Aab  जो बूंद तेरे चेहरे से आब की,
मैंने पिछली बरसात में चुरा ली थी ।
इस बरसात में लौटाने को,
अब तलक रखी है मुझमें कहीं ।

#Aab

3 Love

लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया, और मेरा ज़र्रा ज़र्रा प्यासा कुआँ हो गया, एक कश में बुझा लेता प्यास गर तू सिगार होती, पर मैं मृग सा अपनी ही कस्तूरी का शिकार हो गया ।

#Cigar  लगी तलप तेरी तो मैं धुँआ धुँआ हो गया,
और मेरा ज़र्रा ज़र्रा प्यासा कुआँ हो गया,
एक कश में बुझा लेता प्यास गर तू सिगार होती,
पर मैं मृग सा अपनी ही कस्तूरी का शिकार हो गया ।

#Cigar

5 Love

घूंघट में चाँद घूंघट के हट जाने से मेरे चाँद का दीदार होता है, फिर वार कोई भी हो मेरा तो 'इतवार' होता है । मुखड़ा देखकर उसका मैं घायलों सा कराहता नहीं, पर जब तक वो घूंघट ना ओढ़ ले मैं होश में आता नहीं

#Ghoongat #mymoon  घूंघट में चाँद घूंघट के हट जाने से मेरे चाँद का दीदार होता है,
फिर वार कोई भी हो मेरा तो 'इतवार' होता है ।

मुखड़ा देखकर उसका मैं घायलों सा कराहता नहीं,
पर जब तक वो घूंघट ना ओढ़ ले मैं होश में आता नहीं
Trending Topic