White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयान | हिंदी कविता

"White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra"

 White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, 
बनते फिरते लोग सयाने, 

ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, 
औरों  की ख़ातिर  पैमाने,

भाग खड़े होते  मौके पर, 
करते फिरते  झूठ बयाने,

औरों पर रखते निगाह जो, 
करे गलत जाने-अनजाने,

शक की सूई बचाती आई, 
लोग  समझते  जाने-माने,

करतब जग-जाहिर होने पे,
रोज बदलते  नये  ठिकाने,

कर्मों का फल पड़े भुगतना, 
'गुंजन' यहाँ  न चले  बहाने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ• प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#बनते फिरते लोग सयाने#

People who shared love close

More like this

Trending Topic