मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती है | हिंदी शायरी

"मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती हैं। वो अपना जिस्म को समेटे बिस्तर पर बैठी है दूसरे को बदनाम कर देती हैं।।"

 मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती हैं।

वो अपना जिस्म को समेटे बिस्तर पर बैठी है दूसरे को बदनाम कर देती हैं।।

मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती हैं। वो अपना जिस्म को समेटे बिस्तर पर बैठी है दूसरे को बदनाम कर देती हैं।।

#बदनामी

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