Mohan Lal

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सत्ता के मोह जाल में फँस गए हम। इश्क़ तुमसे और मुहब्बत उससे कर बैठे हम।। सड़कें भी वीरान पड़ी हैं। कोई है यहाँ या दुनियां में अकेले ही खड़े हैं हम।।

#सत्ता  सत्ता के मोह जाल में फँस गए हम।
इश्क़ तुमसे और मुहब्बत उससे कर बैठे हम।।

सड़कें भी वीरान पड़ी हैं।
कोई है यहाँ या दुनियां में अकेले ही खड़े हैं हम।।

हम में और परीक्षा में फासले हैं बहुत। कोविड 19 के सताए हैं बहुत।। मई के महीने की परीक्षा, बढ़ते-बढ़ते सितम्बर गई। खौफ़ से अब तो तारीख मिल रही हैं बहुत।। हर महीने नई तारीख मिल रही है बच्चों को। परीक्षा का दूर-दूर तक सार नहीं, फिर भी उम्मीद है बहुत।। बच्चों को लग रहा है साल बर्बाद हो गया। डी.यू. तो ओ.बी.ई. के चक्कर में है बहुत।। नए सत्र की शुरूआत अब तो नवम्बर हो गई। परीक्षा में के लिए पढेंगे क्या? लिखेंगे क्या? और लिखें या बहुत।। जानना चाहता है मोहन आखिर परीक्षा से दूरियाँ क्यों होती जा रही हैं। शिक्षा का तो सरकार व्यापार करती जा रही है बहुत।।

#परीक्षा_और_हम  हम में और परीक्षा में फासले हैं बहुत।
कोविड 19 के सताए हैं बहुत।।

मई के महीने की परीक्षा, बढ़ते-बढ़ते सितम्बर गई।
खौफ़ से अब तो तारीख मिल रही हैं बहुत।।

हर महीने नई तारीख मिल रही है बच्चों को।
परीक्षा का दूर-दूर तक सार नहीं, फिर भी उम्मीद है बहुत।।

बच्चों को लग रहा है साल बर्बाद हो गया।
डी.यू. तो ओ.बी.ई. के चक्कर में है बहुत।।

नए सत्र की शुरूआत अब तो नवम्बर हो गई।
परीक्षा में के लिए पढेंगे क्या? लिखेंगे क्या? और लिखें या बहुत।।

जानना चाहता है मोहन आखिर परीक्षा से दूरियाँ क्यों होती जा रही हैं।
शिक्षा का तो सरकार व्यापार करती जा रही है बहुत।।

मासूमियत बहुत है उसके नक़्श में। फरेबी, धोखे बाज़ भी है उस शख्स में।।

#फ़रेबी  मासूमियत बहुत है उसके नक़्श में।

फरेबी, धोखे बाज़ भी है उस शख्स में।।

मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती हैं। वो अपना जिस्म को समेटे बिस्तर पर बैठी है दूसरे को बदनाम कर देती हैं।।

#बदनामी #शायरी  मुझे भरी महफ़िल में उसकी निगाहें सर्मसार कर देती हैं।

वो अपना जिस्म को समेटे बिस्तर पर बैठी है दूसरे को बदनाम कर देती हैं।।

तुम्हें मालूम है मेरी हक़ीक़त, न समझ होने का तुम ढोंग करती हो। मोहब्बत बहुत हुई तुम्हें, हम से तो तुम भी इश्क़ करती हो।।

#प्यार_इश्क़_और_मोहब्बत #शायरी  तुम्हें मालूम है मेरी हक़ीक़त, न समझ होने का तुम ढोंग करती हो।

मोहब्बत बहुत हुई तुम्हें, हम से तो तुम भी इश्क़ करती हो।।

मैं नफा-न-नुकसान का हक़दार हूँ। मैं तेरे मोहल्ले में नया सा किरायेदार हूँ।।

#इश्क़  मैं नफा-न-नुकसान का हक़दार हूँ।

मैं तेरे मोहल्ले में नया सा किरायेदार हूँ।।
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