White ये किन राहों पर खड़ा सोच रहा था में
जैसे अंधेरे में खुदका मुँह नोंच रहा था में
कोई ओर क्या देगा दुहाई मेरे गमों की
जब हँसते चेहरे से आँसू पोछ रहा था में
देता था ज़माना लानत तेरे नाम की मुझे
इस लानत में तेरा चेहरा खोज रहा था में
कागज़ पर स्याही सा कभी बिखेरा हमनें
अब उस पन्ने को डायरी से नोच रहा था मैं
ये किन राहों पर खड़ा सोच रहा था में
©Jishant ansari
#Sad_shayri