किसी को चाहिए अपना, किसी को चाहिए सपना, कोई साय | हिंदी कविता

"किसी को चाहिए अपना, किसी को चाहिए सपना, कोई साये का है रहबर, किसी को धूप में तपना, है कोई कलश की शोभा, किसी को नींव में खपना, कोई अंकित क़िताबों में, किसे अख़बार में छपना, हजारों मंत्र पुस्तक में, ज़बाँ पर है किसे जपना, किसी ने लुटा दी दौलत, कोई बनकर रहा नपना, सफलता प्राप्त हो गुंजन, पड़े न आस में टपना, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 किसी को चाहिए अपना, 
किसी को चाहिए सपना,

कोई  साये का  है रहबर, 
किसी को  धूप में तपना,

है कोई कलश की शोभा, 
किसी को नींव में खपना,

कोई अंकित क़िताबों में, 
किसे अख़बार में छपना,

हजारों  मंत्र   पुस्तक में, 
ज़बाँ पर है किसे जपना,

किसी ने लुटा दी दौलत, 
कोई बनकर रहा नपना,

सफलता प्राप्त हो गुंजन,
पड़े  न  आस  में  टपना,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

किसी को चाहिए अपना, किसी को चाहिए सपना, कोई साये का है रहबर, किसी को धूप में तपना, है कोई कलश की शोभा, किसी को नींव में खपना, कोई अंकित क़िताबों में, किसे अख़बार में छपना, हजारों मंत्र पुस्तक में, ज़बाँ पर है किसे जपना, किसी ने लुटा दी दौलत, कोई बनकर रहा नपना, सफलता प्राप्त हो गुंजन, पड़े न आस में टपना, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#किसी को चाहिए अपना#

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