सुमुखी तेरा सुंदर मुख ही मुझको कंचन का टुकड़ा मन | हिंदी कविता

"सुमुखी तेरा सुंदर मुख ही मुझको कंचन का टुकड़ा मन भी तो कुंदन है, न सिर्फ कानन मुखड़ा काया क्या ऐसा कोई काष्ठकार बनाए, हो चाहें कंचनपुर वाला किंचित नहीं संदेह जरा भी ये वरद विधाता का है भेंट बड़ा बरस और था पर और दिन आज का, हुई प्रकट एक सुनियोजित कला रमणीय ये रूप रब ने जब सृजित किया था आला ©गीतेय..."

 सुमुखी तेरा सुंदर मुख ही 
मुझको कंचन का टुकड़ा
मन भी तो कुंदन है, 
न सिर्फ कानन मुखड़ा
काया क्या ऐसा कोई काष्ठकार बनाए,
हो चाहें कंचनपुर वाला
किंचित नहीं संदेह जरा भी 
ये वरद विधाता का है भेंट बड़ा
बरस और था पर और दिन आज का,
हुई प्रकट एक सुनियोजित कला
रमणीय ये रूप रब ने 
जब सृजित किया था आला

©गीतेय...

सुमुखी तेरा सुंदर मुख ही मुझको कंचन का टुकड़ा मन भी तो कुंदन है, न सिर्फ कानन मुखड़ा काया क्या ऐसा कोई काष्ठकार बनाए, हो चाहें कंचनपुर वाला किंचित नहीं संदेह जरा भी ये वरद विधाता का है भेंट बड़ा बरस और था पर और दिन आज का, हुई प्रकट एक सुनियोजित कला रमणीय ये रूप रब ने जब सृजित किया था आला ©गीतेय...

#BirthDay #Love

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