किसी की भी हिमाकत नजरंदाज करने का मिजान नहीं है ज | हिंदी शायरी

"किसी की भी हिमाकत नजरंदाज करने का मिजान नहीं है जानबूझकर किए जाने वाले गुनाहों में माफी का स्थान नहीं है स्वभाव नहीं सलूक का सही होना जरूरी है बेबस कमजोरी का मुजरा करना किस की मजबूरी है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 किसी की भी हिमाकत नजरंदाज करने का मिजान नहीं है 
जानबूझकर किए जाने वाले गुनाहों में माफी का स्थान नहीं है 



स्वभाव नहीं सलूक का सही होना जरूरी है 
बेबस कमजोरी  का मुजरा  करना किस की मजबूरी है 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

किसी की भी हिमाकत नजरंदाज करने का मिजान नहीं है जानबूझकर किए जाने वाले गुनाहों में माफी का स्थान नहीं है स्वभाव नहीं सलूक का सही होना जरूरी है बेबस कमजोरी का मुजरा करना किस की मजबूरी है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

मिजान@vineetapanchal @Disha @KhaultiSyahi @Priya ख़्वाबों की दुनिया मañjü pãwãr

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