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हम तो हदों में रहे हमेशा ही सब का लिहाज करते कभी खुले आसमान पर देखा है हमे परवाज भरते रिश्तों में जंग करीब से देखा अपनी परेशानियां कुचलते समझ आ जाएंगे तुम्हें हमारे क्यों रहते है मिजाज बदलते बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
Babli BhatiBaisla
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मैंने एक तेरी तलाश में जालिम चिराग और चांद भी कर लिए शामिल दर दर भटकते एक खबर तक नहीं हुई हासिल लुका छिपी के खेल मे तू भी निकला बहुत माहिर बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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अधूरी कहानी के किरदार थे दोनों बेशक इश्क के बीमार थे लेकिन अपने परिवार की मर्जी के शिकार थे दोनों सब की खुशियों के तलबगार थे लेकिन बेगैरत खुदगर्जी के खिलाफ थे दोनों बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
White डर लगता है आवारगी के अंधेरों से धुंधले सवेरों से घबराने लगा है मन पोशीदा मक्कारी के तेवरों से सखी अक्सर जैसे बरसात आंसुओं को छुपा लेती है कभी कभी वैसे ही भीड़ गुनाहगार को बचा लेती है हमे ही ढंग से चाक चौबंद रहने का पाबंद होना पड़ेगा चुगल चौपाटी छोड़ अपने बीच जयचंदो को खोजना पड़ेगा बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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सबसे पहले अपनी कमियों को भी नजरंदाज नहीं सुधारने का प्रयास किजिए बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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अपनी शर्तों पर जीने का रोग पाल बैठे हैं सखी बहुत मुश्किल सा शौक पाल बैठे हैं छीनता रहा हाथों से मेरे जायज हक को बेखौफ अपनों से नहीं लड़ा जाता मैंने भी लिया था सोच ऊपर वाले की लाठी को तों कोई नहीं सकता रोक समय पलट कर तेरे सामने भी जरूर आएगा लेना सोच बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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