"White क्यों बेवजह इंसानों ने ये मारकाट मचाई है,
इंसानो के इस कृत्य पर ख़ुदा भी दे रहा दुहाई है,
कहाँ फल लगते हैं कभी ,अत्याचारो के वृक्ष पर,
क्यों बो रहे हो काँटे तुम ,माँ भारती के वक्ष पर,
तलवारों का खेत क्या कभी , हरा होते देखा है,
रक्त के धारो से कभी , क्या वृक्ष कोई सींचा है,
बबूल के वृक्ष पर कभी , पुष्प कहाँ लगते हैं,
धर्म के नाम पर लोग , इंसानियत को ठगते हैं,
मत आना झाँसे में उनके ,जो रक्तपात सिखाये,
इंसान बनके ही रहना, इंसान बनके धरा पर आए।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
"