जब भी सजेगी इश्क-ए-अदालत तेरे दर पे
में हर गुनाह कुबूल करूंगा,
इश्क करना गर खता है "आकाश"
तो ये खता मैं हर दफा करूंगा।
ले आना जितने भी गवाह हो तेरे घर पे
में हर सुनवाई कई दफा करूंगा,
मुहब्बत में बचना मेरी फिदरत नही "मुर्सद"
में सजा-ए-उम्रकैद की दुआ करुंगा।
©Pawan Singh Prajapati
जब भी सजेगी इश्क-ए-अदालत तेरे दर पे
में हर गुनाह कुबूल करूंगा,
इश्क करना गर खता है "आकाश"
तो ये खता मैं हर दफा करूंगा।
ले आना जितने भी गवाह हो तेरे घर पे
में हर सुनवाई कई दफा करूंगा,