सुबह सिंदूरी, दिन मख़मली, रात ही बैरन होय, पिया मिल | हिंदी कविता Video

"सुबह सिंदूरी, दिन मख़मली, रात ही बैरन होय, पिया मिलन की आस में, मैं साँसें रही संजोय। कहा तो, क्या तुम साथ चलोगे, हाथों में ले हाथ, कभी न मुझसे दूर रहोगे, कर लूँ क्या विश्वास। मन उलझा है कई चक्र में, क्या बोलूँ क्या छोड़ूँ, मेरे मन की भाषा पढ़ लो, प्रीत मैं तुझसे जोड़ूँ। जनम-जनम का बन्धन है ये, आज की प्रीत नहीं है, जो - दो पल में ही, मिट जाए, ऐसी नियति नहीं है। सब कुछ कहकर भी- क्यूँ लगता है, बात न पूरी सी है, समझ सको तो समझ लो - क्यूँ ये, रैन अधूरी सी है।। 🍁🍁🍁 ©Neel "

सुबह सिंदूरी, दिन मख़मली, रात ही बैरन होय, पिया मिलन की आस में, मैं साँसें रही संजोय। कहा तो, क्या तुम साथ चलोगे, हाथों में ले हाथ, कभी न मुझसे दूर रहोगे, कर लूँ क्या विश्वास। मन उलझा है कई चक्र में, क्या बोलूँ क्या छोड़ूँ, मेरे मन की भाषा पढ़ लो, प्रीत मैं तुझसे जोड़ूँ। जनम-जनम का बन्धन है ये, आज की प्रीत नहीं है, जो - दो पल में ही, मिट जाए, ऐसी नियति नहीं है। सब कुछ कहकर भी- क्यूँ लगता है, बात न पूरी सी है, समझ सको तो समझ लो - क्यूँ ये, रैन अधूरी सी है।। 🍁🍁🍁 ©Neel

जन्मों का बंधन 🍁

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