कुछ ऐसे दर्द मेरे हिस्से में आये हैं
जो साथ आ सकते थे किस्से में आये हैं
मेरी उदासी देखकर हैरत न यूं जता
ये जख्म तेरे ही दिए विरसे में आये हैं
तुमको इक दिन सामने से देख क्या लिया
ऐसे हुए मदहोश अब फुर्सत में आये हैं
एक अरसे बाद माँ का आँचल हुआ नसीब
ऐसा लगा मानो कि हम जन्नत में आये हैं
मिलकर खुदा से एक दिन पूछूंगा ये सवाल
क्या बस मजीद लोग तेरे पास आये हैं ।।
©Prashant paras
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