तुझसे ही ब्रह्मांड है, तू ही जगत अवतारी है, मगर फि | हिंदी Poetry

"तुझसे ही ब्रह्मांड है, तू ही जगत अवतारी है, मगर फिर भी तू जगत जहां में वसुधा की दुखियारी है। विभोर करदे जो सबका मन, तू वो शायरों की शायरी है, एक दूजे को जो बांध सके, तू ही वो लिपि देवनागरी है। तू वंदना है, तू ही साधना है, तू ही भगवान की सबसे खूबसूरत कारीगरी है, जिसकी मैली हो गई दामन, तू वो गंगा यमुना नदी गोदावरी है। तू मां है, तू पत्नी है, तू बहन है, तेरे रूप हजार है, तुझसे ही रिश्ता सजे, तुझसे ही परिवार है। उठ खड़ी हो पूर्णशक्ति से, फिर रोशन करदे ये जहां, जा प्राप्त करके अधूरे स्वप्न, और जीत ले ये जहां। ©Avinash Thakur"

 तुझसे ही ब्रह्मांड है, तू ही जगत अवतारी है,
मगर फिर भी तू जगत जहां में वसुधा की दुखियारी है।

विभोर करदे जो सबका मन, तू वो शायरों की शायरी है,
एक दूजे को जो बांध सके, तू ही वो लिपि देवनागरी है।

तू वंदना है, तू ही साधना है, तू ही भगवान की सबसे खूबसूरत कारीगरी है,
जिसकी मैली हो गई दामन, तू वो गंगा यमुना नदी गोदावरी है।

तू मां है, तू पत्नी है, तू बहन है, तेरे रूप हजार है,
तुझसे ही रिश्ता सजे, तुझसे ही परिवार है।

उठ खड़ी हो पूर्णशक्ति से, फिर रोशन करदे ये जहां,
जा प्राप्त करके अधूरे स्वप्न, और जीत ले ये जहां।

©Avinash Thakur

तुझसे ही ब्रह्मांड है, तू ही जगत अवतारी है, मगर फिर भी तू जगत जहां में वसुधा की दुखियारी है। विभोर करदे जो सबका मन, तू वो शायरों की शायरी है, एक दूजे को जो बांध सके, तू ही वो लिपि देवनागरी है। तू वंदना है, तू ही साधना है, तू ही भगवान की सबसे खूबसूरत कारीगरी है, जिसकी मैली हो गई दामन, तू वो गंगा यमुना नदी गोदावरी है। तू मां है, तू पत्नी है, तू बहन है, तेरे रूप हजार है, तुझसे ही रिश्ता सजे, तुझसे ही परिवार है। उठ खड़ी हो पूर्णशक्ति से, फिर रोशन करदे ये जहां, जा प्राप्त करके अधूरे स्वप्न, और जीत ले ये जहां। ©Avinash Thakur

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