चौथी टंगड़ी, खुद में लंगड़ी, मारे लंगड़ी लोकतंत्र | हिंदी Video

"चौथी टंगड़ी, खुद में लंगड़ी, मारे लंगड़ी लोकतंत्र को। क्या कहना, क्या कहना, क्या कहना,हो स्वच्छंद जो, बस उद्दण्ड ही,इस स्वतंत्र को? तीन टांगें सरकारी खाना - खायें वहीं निजी खा खजाना, जिसका खायें गुण भी गायें, भूल न जायें पढ़े -पढ़ाये बारीक मंत्र को। लंगड़ी लंगड़ी मारे जो तगड़ी, पूरा ही ढांचा वो वो रगड़ी, क्या शक ऐसा जो हो ढहे बुत, कुछ अपनी दो हस्ती हां इस यंत्र को। ©BANDHETIYA OFFICIAL "

चौथी टंगड़ी, खुद में लंगड़ी, मारे लंगड़ी लोकतंत्र को। क्या कहना, क्या कहना, क्या कहना,हो स्वच्छंद जो, बस उद्दण्ड ही,इस स्वतंत्र को? तीन टांगें सरकारी खाना - खायें वहीं निजी खा खजाना, जिसका खायें गुण भी गायें, भूल न जायें पढ़े -पढ़ाये बारीक मंत्र को। लंगड़ी लंगड़ी मारे जो तगड़ी, पूरा ही ढांचा वो वो रगड़ी, क्या शक ऐसा जो हो ढहे बुत, कुछ अपनी दो हस्ती हां इस यंत्र को। ©BANDHETIYA OFFICIAL

#चौथा पांव

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