नज़रों के रास्तें उतर रहा है, दिल में कोई आहिस्ता- | हिंदी Shayari

"नज़रों के रास्तें उतर रहा है, दिल में कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. निशब्द रहती हूँ मैं, समझ रहा हैं मेरी खामोशियों को कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. अब पलकों को मेरी नींदे मयस्सर कहॉ,यादों में रात भर जगाता है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. कि बेगानों की भीड़ में तन्हा सा ऐहसास नहीं होता,अजनबी अपना सा लगने लगा है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. ©Chanchal Chaturvedi"

 नज़रों के रास्तें उतर रहा है,
दिल में कोई आहिस्ता-आहिस्ता..
निशब्द रहती हूँ मैं,
समझ रहा हैं मेरी खामोशियों को 
कोई आहिस्ता-आहिस्ता..
अब पलकों को मेरी नींदे 
मयस्सर कहॉ,यादों में रात 
भर जगाता है कोई आहिस्ता-आहिस्ता..
कि बेगानों की भीड़ में तन्हा 
सा ऐहसास नहीं होता,अजनबी 
अपना सा लगने लगा है कोई 
आहिस्ता-आहिस्ता..

©Chanchal Chaturvedi

नज़रों के रास्तें उतर रहा है, दिल में कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. निशब्द रहती हूँ मैं, समझ रहा हैं मेरी खामोशियों को कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. अब पलकों को मेरी नींदे मयस्सर कहॉ,यादों में रात भर जगाता है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. कि बेगानों की भीड़ में तन्हा सा ऐहसास नहीं होता,अजनबी अपना सा लगने लगा है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. ©Chanchal Chaturvedi

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