मैं_पुरुष_हूँ और_मैं_भी_प्रताड़ित_होता_हूँ मैं_भी_घुटता_हूँ_पिसता_हूँ टूटता_हूँ_बिखरता_हूँ भीतर_ही_भीतर कभी_रोता_हूं_कभी_रो_भी_नहीं_पाता, कह_नहीं_पाता पत्थर_हो_रहा_हूं, तरस_जाता_हूँ_पिघलने_को, क्योंकि_मैं_पुरुष_हूँ ! S Rihan 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ©Rihan khan #Dhund Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto