मुझे बदनाम कर दो इस जहां में, उम्मीदों का बोझ रीढ़ | हिंदी शायरी

"मुझे बदनाम कर दो इस जहां में, उम्मीदों का बोझ रीढ़ तोड़ रहा हैं। लेखक ___ अमित कुमार ✍️ ©AMIT KUMAR KASHYAP"

 मुझे बदनाम कर दो इस जहां में,
उम्मीदों का बोझ रीढ़ तोड़ रहा हैं।


                 लेखक ___ अमित कुमार ✍️

©AMIT KUMAR KASHYAP

मुझे बदनाम कर दो इस जहां में, उम्मीदों का बोझ रीढ़ तोड़ रहा हैं। लेखक ___ अमित कुमार ✍️ ©AMIT KUMAR KASHYAP

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