AMIT KUMAR KASHYAP

AMIT KUMAR KASHYAP Lives in Bihar, Bihar, India

मैं तो दर्पण हूँ, तुम जैसे देखो मैं वैसा दिखूंगा🕸️

https://www.instagram.com/praajm_amit?r=nametag

  • Latest
  • Popular
  • Video

धार्मिक कट्टरता 🙍 जब धर्म मस्तिष्क पे चढ़ जाता हैं, बुद्धि तो मानों मर जाता हैं, सड़ जाता है, जिह्वा उसका जैसे नागिन का विष पड़ जाता है, बूझ जाती हैं लौ विश्वास की और घोर अंधेरा छाता है, अंधेरी सी इस दुनियां में कोहराम नज़र आता है, खून की इन चमकती छीटों को देखो सब लाल नज़र आता है, मगर रुको कोई दलित,हिंदू तो कोई मुसलमान नजर आता है, रास्ते से हटो कोई आते नज़र आता हैं, हां,हां ये तो 9 साल के बच्चे का जनाजा नज़र आता हैं, मटके से पानी पी न सका ऐसा नज़र आता हैं, ये चमकते जुगनू अंधेरी में क्या इशारे देता हैं, ज़रा साथ चलो इसके ये अद्भुत नजारे देता हैं, मगर ये अब मिटता नज़र आता हैं, अरे! नही नही उपर तो देखो बाबा साहेब का प्रकाश नजर आता हैं, अब सब साफ नजर आता है सब इंसान नजर आता है। लेखक __ अमित कुमार💙 ©AMIT KUMAR KASHYAP

#DalitLivesMatterIndia #कविता #Dark  धार्मिक कट्टरता 🙍

जब धर्म मस्तिष्क पे चढ़ जाता हैं,
बुद्धि तो मानों मर जाता हैं,

सड़ जाता है, जिह्वा उसका जैसे नागिन का विष पड़ जाता है,
बूझ जाती हैं लौ  विश्वास की और घोर अंधेरा छाता है,

अंधेरी सी इस दुनियां में कोहराम नज़र आता है,
खून की इन चमकती छीटों को देखो सब लाल नज़र आता है,
मगर रुको कोई दलित,हिंदू तो कोई मुसलमान नजर आता है,
रास्ते से हटो कोई आते नज़र आता हैं,

हां,हां ये तो 9 साल के बच्चे का जनाजा नज़र आता हैं,
मटके से पानी पी न सका ऐसा नज़र आता हैं,

ये चमकते जुगनू अंधेरी में क्या इशारे देता हैं,
ज़रा साथ चलो इसके ये अद्भुत नजारे देता हैं,

मगर ये अब मिटता नज़र आता हैं,
अरे! नही नही उपर तो देखो बाबा साहेब का प्रकाश नजर आता हैं, 
अब सब साफ नजर आता है सब इंसान नजर आता है।

लेखक __ अमित कुमार💙

©AMIT KUMAR KASHYAP

तुम्हारे कदमों का चलना जैसे सरहदों का टूटना हो, मैं संयुक्त राष्ट्र का शांति दूत हूं, समझो तो मैं तुम्हारे कदमों की अदा हूं। लेखक_ अमित कुमार💙 ©AMIT KUMAR KASHYAP

#loveshayri #Romantic #romance #लव  तुम्हारे कदमों का चलना जैसे सरहदों का टूटना हो,
   मैं संयुक्त राष्ट्र का शांति दूत हूं,                       
समझो तो मैं तुम्हारे कदमों की अदा हूं।

           लेखक_ अमित कुमार💙

©AMIT KUMAR KASHYAP

#Love , #romance ,#Romantic,#loveshayri.

10 Love

मुझे बदनाम कर दो इस जहां में, उम्मीदों का बोझ रीढ़ तोड़ रहा हैं। लेखक ___ अमित कुमार ✍️ ©AMIT KUMAR KASHYAP

#शायरी #LostInSky  मुझे बदनाम कर दो इस जहां में,
उम्मीदों का बोझ रीढ़ तोड़ रहा हैं।


                 लेखक ___ अमित कुमार ✍️

©AMIT KUMAR KASHYAP

#LostInSky

8 Love

🥰ठंड पड़ी बस्ती में फिर एक आग जली, 🌹 🥰पत्थर की कलेजे में धड़कन की राग फूटी, 🌹 🥰 आंखों की आंखों में ना जाने क्या बात हुई? 🌹 🥰मैं रोम रोम भींग चुका था आंसू में, 🌹 🥰 न जाने इश्क की कब बरसात हुई?🌹 🥰फिर दिल्लगी की मुझे आग लगी।🌹। 🥰तेरी सांसों की घर्षण पे जिस्म खो गया हैं,🌹। 🥰मैं तो हूं मगर रूह कही खो गया हैं ,🌹 🥰चूड़ियों की खनक खींच लाती हैं बाहर,🌹। 🥰मगर रूह की तलब लिए तेरी आंखों से मैं रो बैठा हूं,🌹 🥰काली जुल्फों की रात में तेरी मखमली सूट पे सर रख,🌹 🥰सपनों में खो बैठा हूं, मेरी जानेमन बस इस दिल्लगी में सब हार बैठा हूं।🌹 लेखक ___अमित कुमार ©AMIT KUMAR KASHYAP

#कविता #LoveStory #Zindagi #Dillagi #ishka  🥰ठंड पड़ी बस्ती में फिर एक आग जली,  🌹                                     
🥰पत्थर की कलेजे में धड़कन की राग फूटी,    🌹                            
                       🥰  आंखों की आंखों में ना जाने क्या बात हुई? 🌹                 
                    🥰मैं रोम रोम भींग चुका था आंसू में, 🌹                                        
                                   🥰 न जाने इश्क की कब बरसात हुई?🌹               
                                           🥰फिर दिल्लगी की मुझे आग लगी।🌹।                                          


🥰तेरी सांसों की घर्षण पे जिस्म  खो गया हैं,🌹।   
                                🥰मैं तो हूं मगर रूह कही खो गया हैं ,🌹
              🥰चूड़ियों की खनक खींच लाती हैं बाहर,🌹।     
                     🥰मगर रूह की तलब लिए तेरी आंखों से मैं रो बैठा हूं,🌹
🥰काली जुल्फों की रात में तेरी मखमली सूट पे सर रख,🌹
🥰सपनों में खो बैठा हूं, मेरी जानेमन बस इस दिल्लगी में सब हार बैठा हूं।🌹


लेखक ___अमित कुमार

©AMIT KUMAR KASHYAP

ममता की मार🥺 मैं बाबा साहेब के विषय में बोल नहीं पाऊंगा, क्योंकि शुरुआत में आंख के आंसू , लब्ज़ को लड़खड़ा देते हैं, रीढ़ तो सीधी होती हैं, मगर तीव्र सांसे धड़कन बढ़ा देती हैं, गर्व से मैं दुबला फूल कर बलिष्ठ हो जाता हूं, मगर खड़े पैर ज़मीन पे लड़खड़ा जाते हैं, शब्दों के वेग तन को ताव देते, मगर कंठ में उपजी लार उसे दाब देती हैं, बोलना तो बहुत चाहता हूं, मगर आंख की निर्मल धारा शब्दो को मार देती हैं। लेखक __ अमित कुमार💙 ©AMIT KUMAR KASHYAP

#Hum_bhartiya_hain #कविता  ममता की मार🥺

मैं बाबा साहेब के विषय में बोल नहीं पाऊंगा,
क्योंकि शुरुआत में आंख के आंसू ,
लब्ज़ को लड़खड़ा देते हैं,

रीढ़ तो सीधी होती हैं,
मगर तीव्र सांसे धड़कन बढ़ा देती हैं,

गर्व से मैं दुबला फूल कर बलिष्ठ हो जाता हूं,
मगर खड़े पैर ज़मीन पे लड़खड़ा जाते हैं,

शब्दों के वेग तन को ताव देते,
मगर कंठ में उपजी लार उसे दाब देती हैं,
बोलना तो बहुत चाहता हूं,
मगर आंख की निर्मल धारा शब्दो को मार देती हैं।



लेखक __ अमित कुमार💙

©AMIT KUMAR KASHYAP

किसने युद्ध को ताल दिया?🌪️ दो तरफा कोप का ये कैसा बिजन रोप हुआ? हरियाली की चादर पे लाल रंग का धूप हुआ, हिरोशिमा की आह को फिर से किसने राग दिया? बोलो अमन की छाव में किसने भय का भान किया? बताओ किसने फिर से युद्ध को ताल दिया? ज्वाला मुखी की राख में भय का कैसा छाव हैं? क्या यह धरती की कोंख से निकली मृत्यु की आह हैं? डगमग करती जीवन की नाव को फिर भय का भान हुआ, शुष्क नैन की चादर पे भीति का श्रृंगार हुआ, टूटी रण की रीढ़ को फिर किसने जान दिया, बोलो फिर किसने युद्ध को ताल दिया। लेखक___ अमित कुमार ✍️ ©AMIT KUMAR KASHYAP

#कविता #FadingAway  किसने युद्ध को ताल दिया?🌪️
 
दो तरफा कोप का ये कैसा बिजन रोप हुआ?
हरियाली की चादर पे लाल रंग का धूप हुआ,
हिरोशिमा की आह को फिर से किसने राग दिया?
बोलो अमन की छाव में किसने भय का भान किया?
बताओ किसने फिर से युद्ध को ताल दिया?

ज्वाला मुखी की राख में भय का कैसा छाव हैं?
क्या यह धरती की कोंख से निकली मृत्यु की आह हैं?
डगमग करती जीवन की नाव को फिर भय का भान हुआ,
शुष्क नैन की चादर पे भीति का श्रृंगार हुआ,
टूटी रण की रीढ़ को फिर किसने जान दिया,
बोलो फिर किसने युद्ध को ताल दिया।

लेखक___ अमित कुमार ✍️

©AMIT KUMAR KASHYAP
Trending Topic