इसलिए उकता रहा हूं तन्हाई से
मुझे डर लगने लगा है परछाई से
अब उस तरह शोक पूरे नही होते
जो पूरे होते थे बाप की कमाई से
ये कैसा जख्म अता किया उसने
मुझे नाउम्मीद कर दिया दवाई से
कभी कभी तो मुझे झूठ लगता है
वो सच बोलता है इतनी सफाई से
आज मैं कत्ल हो गया हूं आवेश
अपने ही खंजर की बेवफाई से
©Aawesh Khan
#Road